कैलाश विजयवर्गीय ने दी संगीतमय श्रद्धांजलि


कुल मिला कर कैलाश विजयवर्गीय ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे किसी भी कार्यक्रम को अपने दम के बल पर सफल बना सकते हैं।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :

महू (इंदौर)। एक लंबे अरसे बाद शहर में संगीत निशा का आयोजन किया गया। पांच घंटे तक चली इस संगीत निशा में स्व दीपक जाजू को श्रृद्धांजलि देने के लिए आयोजित इस निशा में चालीस से ज्यादा गायक गायिकाओं ने गीतों की प्रस्तुति दी। चूंकि

आयोजक कैलाश विजयगवर्गीय थे सो उन्होंने करीब एक घंटे तक जाजू की याद में दर्द  भरे नगमों की प्रस्तुति दी। इस आयोजन को राजनीति नजर से भी देखा जा रहा है। यहां मौजूद हर नेता एक दूसरे पर नजर रखे हुए थे।

संगीत प्रेमी दीपक जाजू की स्मृति में संगीत निशा का आयोजन शनिवार को किया गया।लंबे समय बाद और आयोजक कैलाश विजयवर्गीय के होने के कारण श्रोताओं खास की नेताओ की संख्या काफी थी। संगीत के साथ साथ भोजन विजयवर्गीय की विशेषता है। गत तीन साल बाद कैलाश विजयवर्गीय ने शहर में आयोजन करवाया।

हालांकि कहने को तो इस कार्यक्रम की बागडोर जीतू जिराती के हाथ में थी मगर रस्सी विजयवर्गीय ने अपने हाथों में थाम रखी थी ।रात आठ बजे शुरू हुई संगीत निशा रात एक बजे तक चली। इस आयोजन की विशेषता यह रही कि प्रस्तुति देने वाले तथा संचालक सभी

गायक स्थानीय खास की दीपक जाजू मित्र मंडल के सदस्य थे। इसके अलावा अन्य जिम्मेदारी जिसमें भोजन, पानी,गार्डन, टेंट से लेकर कार्ड बांटने तक की जिम्मेदारी स्थानीय नेताओं व गायको ने निभाई। पहले सत्र में हर रंग के गीतों की प्रस्तुति हुई लेकिन जैसे ही विजयवर्गीय उपस्थित हुए तो पूरा माहौल गम में बदल गया।

स्वयं विजयवर्गीय ने एक घंटे तक पुराने दर्द भरे नगमों की प्रस्तुति दी। इस मौके पर आशा विजयवर्गीय भी विशेष रूप से मौजूद थे। यहां दीपक जाजू की माताश्री व पत्नी को भी अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। चारों और दीपक जाजू की कटआउट ने आयोजन को नया व सुंदर रूप दिया।

इस आयोजन में भाजपा के स्थानीय नेताओं की संख्या संगीत प्रेमियों से अधिक थी। जो कैलाश विजयवर्गीय समर्थक थे लेकिन इस दौरान कुछ ऐसे भी नेता थे जो संगीत सुनने के बहाने एक दूसरे पर नजर रखे हुए थे ताकि आंकाओं की उनकी मौजूदगी कीजा नकारी दे पाएं।

आयोजन में दीदी यानी स्थानीय विधायक और मंत्री उषा ठाकुर के कुछ समर्थकों ने दूरी बना रखी थी तो कुछ ऐसे भी थे जो राजनीति भाई व दीदी की दो नावों पर सवार थे। इन दिनों हाशिए पर बैठे नेताओं ने इस आयोजन में काफी सक्रीयता दिखाई।

कुल मिला कर कैलाश विजयवर्गीय ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे किसी भी कार्यक्रम को अपने दम के बल पर सफल बना सकते हैं।

 



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