केंद्र और राज्य दोनों ही कर रहे पेट्रोल-डीज़ल से कमाई, राहत के नाम पर सरकार ने खड़े किये हाथ


सरकार का कहना है कि पेट्रोल कंपनियां कीमतों को तय करने के लिए आज़ाद होती हैं और सरकार इसमें कोई  दख़ल नहीं देती है। 


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इन्दौर Updated On :
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इंदौर। पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं लेकिन फिलहाल इसकी चर्चा और चिंता न के बराबर है। ऐसे में आम आदमी परेशान हैं। अब देश के तकरीब हर हिस्से में पेट्रोल की कीमत या तो सौ रुपये प्रतिलीटर है या इस आंकड़े के बेहद नज़दीक है। डीज़ल भी ऐतिहासिक उंचाई पर है।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक्सट्रा प्रीमियम पेट्रोल की कीमतें 100.44 रुपये प्रति लीटर है और इंदौर में सामान्य पेट्रोल का दाम 98.14 पैसे है और एक्सट्रा प्रीमियम पेट्रोल के दाम 101.06 रुपये प्रति लीटर हैं। वहीं डीज़ल 88.75 पैसे और डीज़ल एक्सएम 92.02 पैसे प्रति लीटर है।

मप्र में ईंधन की कीमतें ज़्यादा हैं। इसकी वजह सरकार द्वारा लगाया जाने वाला कर यानी वैट है। मप्र सरकार 38 फीसद वैट लगाती है यानी प्रति लीटर पेट्रोल पर 22.48 रुपए वैट के रुप में ले लिये जाते हैं और प्रदेश सरकार पेट्रोल पर दो रुपये सेस और सात रुपये अतिरिक्त कर लेती है। यही वजह है कि पेट्रोल के दाम यहां इतने अधिक हो रहे हैं। इस बारे में ईंधन व्यापारी भी सरकार को ही वजह बताते हैं।

मप्र पेट्रोल-डीजल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह बताते हैं कि

एक तरफ पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि हो रही है। इस बीच मप्र सरकार केंद्र की एक्साइज ड्यूटी की तरह ही वैट प्रति लीटर के हिसाब से ले रही है। पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाए जाने से सीधे सरकार को फायदा हो रहा है। वर्तमान समय में पेट्रोल-डीजल अर्थव्यवस्था की रीढ़ साबित हो रहा है।

देश में सबसे बड़ी बात ये है कि महंगाई के इन हालातों पर फिलहाल कोई खास विरोध नहीं हो रहा है। आम आदमी परेशान तो है लेकिन चुप है और प्रमुख विरोधी दल के रुप में कांग्रेस के प्रदर्शन सामान्य से भी कमज़ोर हैं। कांग्रेस की संगठनात्मक कमज़ोरी इसके लिये जवाबदार हो सकती है।

पेट्रोल-डीज़ल के उंचे दामों की बात करें तो ईंधन वाली गाड़ी इस्तेमाल करने वाला हर आदमी इससे परेशान है। देश के कुल वाहनों में 75 प्रतिशत दो पहिया वाहन हैं जो आम आदमी की सवारी मानी जाती है। यही सवारी इन दिनों सबसे महंगी साबित हो रही है।

इंडिया टुडे के मुताबिक, पिछले एक साल यानी औसतन जनवरी 2020 से लेकर जनवरी 2021 के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 13 प्रतिशत कम हुए हैं और भारत में लोगों को 13 प्रतिशत अधिक दाम देना पड़ा।  आज कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड 63.57 डॉलर प्रति बैरल के आसपास है और दिल्ली में पेट्रोल का मूल्य 89 रुपये प्रति लीटर को भी पार कर गया है। जबकि यूपीए के दूसरे कार्यकाल के दौरान जब क्रूड ऑयल के दाम करीब 70 से 110 डॉलर प्रति बैरल थे तब भारत में पेट्रोल कीमतें  55 से 80 रुपये तक थीं।

5 मई, 2020 को क्रूड ऑयल की कीमतें 28.84 रुपये प्रति लीटर से 14.75 रुपये पर आ गई थी। इसी दौरान सरकार ने पेट्रोल पर रिकॉर्ड 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13  रुपये प्रति लीटल की दर से एक्साइस ड्यूटी लगा दी। सरकार ने यह कदम अपने राजस्व में बढ़ोत्तरी के लिये उठाया था  जो उसे 1.60 लाख करोड़ रुपये मिला।

सरकार का कहना है कि पेट्रोल कंपनियां कीमतों को तय करने के लिए आज़ाद होती हैं और सरकार इसमें कोई  दख़ल नहीं देती है।

राज्यसभा के एक सवाल के जवाब में पेट्रोलियम मंत्री धर्मंद्र प्रधान ने कहा कि पेट्रोलिम पदार्थों की कीमतों को तय करने की एक अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया है जो कि दशकों से चली आ रही है। हमारा देश जरूरत का करीब 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ती है तो हमें उसी हिसाब से घरेलू कीमत बदलना होता है और जब कम होती है तो देश में कीमत घट जाती है।

उन्होंने कहा कि कीमतों को तय करने का यह तरीका सभी मार्किटिंग कंपनियों ने मिलकर विकसित किया है और हमने इसके लिए इन कंपनियों को पूरी स्वतंत्रता दी है।



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