सिवनी में आदिवासी संगम, शरद पंवार, दिग्विजय और छगन भुजबल भी हुए शामिल


दिग्विजय ने कहा कि हम आदिवासियों के हित के लिए पेसा कानून सबसे पहले लाए


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राजनीति Published On :

भोपाल। बिरसा मुंडा ब्रिगेड की ओर से सतना जिले में आदिवासी समुदाय का समागम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में एनसीपी के प्रमुख शरद पवार और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तथा छगन भुजबल भी शामिल हुए।

आदिवासी समुदाय के इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाज के लोग और आदिवासी हितों के साथ खड़े होने वाले राजनेता पहुंचे। दिग्विजय सिंह ने यहां संबोधित करते हुए कहा कि वे अपनी राजनीति की शुरुआत से ही आदिवासी और दलित समुदाय की वकालत कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के दौरान 1998 में ही पेसा कानून का नियम बनाना शुरू किया गया था और इसी दौरान ग्राम सभा को अधिकार संपन्न बनाने का काम किया। दिग्विजय ने कहा कि पेश कानून से आदिवासी समुदाय  को मजबूती देने के लिए मध्यप्रदेश पहला राज्य था।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने साढ़े चार लाख आदिवासियों को जमीनों के पट्टे दिए लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इन्हें रद्द कर दिया। सुप्रीम कोर्ट तक से ऑर्डर हो गया था की पट्टे निरस्त किए जाते हैं। लेकिन हमने अच्छे वकील लगाकर उन्हें रिव्यू कराया और 3 लाख आदिवासियों को पट्टे बांटने का काम किया।’

सिंह ने आगे कहा, ‘कांग्रेस सरकार ने 9 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस के मौके पर छुट्टी की घोषणा की। आदिवासी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने का काम भी हमारी सरकार ने ही शुरू किया था। मैं आदिवासी दलित समुदाय की आज से एडवोकेसी नहीं कर रहा हूं, बल्की मैं जब से राजनीति में आया तब से कर रहा हूं और आखिरी सांस तक करूंगा। हमारे बीच रामा काकोडिया मौजूद है। इसके खिलाफ जब मुकदमा हुआ तो हमने पांच घंटे जमीन पर बैठकर इस व्यक्ति की लड़ाई लड़ी और इसे छुड़वाया। हम लड़ाई लड़ते आए हैं, लड़ते रहेंगे।।हम वे लोग हैं जो कहते हैं कर के दिखाते हैं। आदिवासियों के लिए मैं वादा करता हूं की जल, जंगल और जमीन की लड़ाई हम लड़ते रहेंगे।’

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, ‘हम तो लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन मैं आपको सच्चाई बताना चाहता हूं। आरएसएस वो संगठन है जो आपकी पहचान छीनना चाहता है। आपको वनवासी कहता है। आदिवासी जंगल छोड़कर शहर पहुंच गया तो क्या वह अपना हक छोड़ देगा? क्या वह आदिवासी नहीं कहलाएगा? क्या एसटी की सूची में नहीं रहेगा। मैं आरएसएस और बीजेपी से कहना चाहता हूं की इनकी पहचान मत छीन लिए। इनका पहचान बनाए रखना इनका मौलिक संवैधानिक अधिकार है। सबसे पुराने लोग आदिवासी हैं। हमलोग तो बाहर से आए हैं, यहां का मूलनिवासी आदिवासी हैं।’

सिंह ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि, ‘मुझपर इनकी हमेशा विशेष कृपा रही है और हर दो तीन महीने में मुझे उनसे मार्गदर्शन लेने की आवश्यकता पड़ती है। हम मिलाकर न सिर्फ आदिवासियों की लड़ाई लड़ेंगे, बल्की ईवीएम मशीन में जो चोरी हो रही है, डकैती हो रही है, उसकी लड़ाई भी शरद पवार जी के नेतृत्व में हम मजबूती से लड़ेंगे। हम बटन दबाते हैं, पता ही नहीं चलता वोट कहां गया। आज पूरे देश में ईवीएम को लेकर अविश्वास उत्पन्न हो गई है।’

सिंह ने बताया कि शरद पवार ने हाल ही में ईवीएम मुद्दे को लेके ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई थी। उन्होंने कहा, ‘हमलोग निर्वाचन आयोग से पूछते है कि विश्व में ऐसी कोई मशीन बता दीजिए जिसमें चिप लगी हो और हैक न किया जा सके। बांग्लादेश और रूस के रिजर्व बैंक के चोरी कर ली गई तो यहां वोट की चोरी बड़ी आसानी से हो सकती है। क्या हम इस देश के लोकतंत्र को चुराने के लिए कुछ हैकर्स को इजाजत देंगे? इसके लिए हमें जनांदोलन छेड़ना पड़ेगा और जगह जगह जाके हमें आदिवासी दलित की लड़ाई के आठ हमें संविधान और लोकतंत्र की लड़ाई लड़ना होगा। आज भारतीय संविधान और लोकतंत्र खतरे में है।

 



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