MP पंचायत चुनावः सरकार के एक फरमान ने कई प्रत्याशियों के सपनों पर फेरा पानी


गांव की सरकार बनाने के लिए किसी ने ब्याज तो किसी ने पशु बेचकर चुनाव लड़ने की तैयारी की थी, लेकिन सरकार के एक फरमान ने प्रत्याशियों के सपनों पर पानी फेर दिया।


आशीष यादव आशीष यादव
धार Published On :
dhar panchayat

धार। दो महीने से पंचायत चुनाव को लेकर गांव में उत्साह का जो माहौल देखा जा रहा था, वह इसके निरस्त होते ही सन्नाटे में तब्दील हो गया है। गांव के चौराहे खाली हो गए हैं व चाय की टपरियां सूनी नजर आने लगी हैं।

हजारों रुपये खर्च कर प्रत्याशी घर को लौट चले हैं। गांव की सरकार बनाने के लिए किसी ने ब्याज तो किसी ने पशु बेचकर चुनाव लड़ने की तैयारी की थी, लेकिन सरकार के एक फरमान ने प्रत्याशियों के सपनों पर पानी फेर दिया।

साथ ही साथ चुनाव निरस्त किए जाने के कारण उम्मीदवारों को हजारों रुपये खर्च करने का अतिरिक्त दबाव झेलना होगा। पंचायत चुनाव नहीं होने से उम्मीदवारों के लिए यह चुनाव महंगा साबित हो रहा है।

चुनाव प्रक्रिया में उम्मीदवारों के तकरीबन हजारों रुपये खर्च हो चुके हैं। इसमें लाखों-करोड़ों रुपये तो चुनाव के दौरान जमा की जाने वाली जमानत राशि के रूप में जमा किए गए हैं।

अप्रत्यक्ष खर्च का अनुपात प्रत्यक्ष खर्च के मुकाबले कई गुना ज्यादा – 

इसके अलावा प्रचार सामग्री पर सरपंच, जनपद व जिला पंचायत सदस्यों ने हजारों रुपये खर्च किए हैं जो कि प्रत्यक्ष खर्च हैं। पंचायत चुनाव में होने वाले अप्रत्यक्ष खर्च का अनुपात तो इससे कई गुना ज्यादा होगा।

कई पंचायत उम्मीदवारों ने तो निर्विरोध निर्वाचन के चक्कर में लाखों रुपये दान व अन्य कामों में खर्च कर दिए। इस चुनाव में जनता की जेब से गया पैसा वह है जो चुनाव की तैयारियों में खर्च हुआ है।

चुनाव तैयारियों में खर्च हुआ जनता का पैसा – 

जानकारों के मुताबिक अब तक कम से कम लाख रुपये का खर्च हो चुका होगा। दरअसल पहले दो चरण की चुनाव प्रक्रिया के वोटर लिस्ट, मतदाता पर्ची और मतपत्र की छपाई हो चुकी है। इसके अलावा मतदान केंद्रों के लिए वीडियोग्राफी का ठेका भी हो गया था।

ईवीएम के लिए कई इंजीनियर भी आ चुके थे। इसके अलावा स्टेशनरी की खरीदी और मतदान दलों के प्रशिक्षण पर होने वाले खर्च भी हैं। यह सारा पैसा वह है जो जनता के टैक्स से आता है। वहीं अभी तो प्रशासन का बिल आना बाकी है।

जमानत राशि कब मिलेगी, अभी तय नहीं – 

प्रत्याशियों के नामांकन प्रक्रिया के दौरान हुए खर्च की भरपाई तो हो जाएगी। हालांकि यह पैसा कब तक मिलेगा यह अभी तय नहीं है। चुनाव प्रक्रिया निरस्त होने के साथ ही प्रत्याशियों को उनका पैसा वापस मिल जाएगा जो जमानत राशि के रूप में जमा होता है।

लेकिन, नामांकन प्रक्रिया के कागजों की तैयारी, स्टांप पेपर आदि पर होने वाला खर्च की कोई भरपाई नहीं हो पाएगी। प्रचार साम्रगी पर जो पैसा लगा है वह भी वापस नहीं आने वाला।

दुकानदारों के भुगतान अटके – 

बता दें कि पंचायत चुनाव का मतदान केंद्रों में जनवरी में होना था इसलिए प्रचार का काम शुरू कर दिया गया था। सरपंच उम्मीदवारों ने प्रचार सामग्री छपवाने में औसतन 5 से 10 हजार रुपये खर्च किए थे।

प्रचार सामग्री छापने वाले दुकानदारों ने बताया कि जनपद सदस्यों का खर्च 10 से 15 हजार के बीच था जबकि जिला पंचायत सदस्यों ने 20 हजार से 30 हजार के बीच खर्च किया। लोगों ने बैनर, पोस्टर, हैंड बिल आदि बनवा लिए थे। कई के काम चालू कर दिए गए थे, लेकिन चुनाव निरस्त होने से हमारा भुगतान भी नहीं किया है।

परिसीमन हुआ तो सारे समीकरण बिगड़ जाएंगे –

जिन प्रत्याशियों ने प्रचार व सेटिंग में पैसा लगा दिया है, वह आगे काम आएगा, इस बात की संभावना कम ही है। कारण यह है कि मौजूदा चुनाव प्रक्रिया रद्द होने के बाद नया परिसीमन और आरक्षण व्यवस्था बहाल हो जाएगी।

नए परिसीमन के मुताबिक सब बदल जाएगा। इसी तरह पंचायत भी बढ़ जाएंगी। जनपद पंचायतों में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। ज्यादा असर आरक्षण को लेकर होगा क्योंकि मौजूदा चुनाव प्रक्रिया के दौरान जो सीट महिला या अन्य वर्ग के लिए आरक्षित थी, वह सामान्य हो जाएगी।

वहीं सामान्य सीट का आरक्षित होना तय है। इसके अलावा ओबीसी आरक्षण को लागू करने से हालात उलट-पुलट हो जाएंगे। प्रत्याशियों ने जो निवेश किया है, उससे उन्हें कोई फायदा नहीं होना है। प्रत्याशियों के लिए यह घाटे का सौदा साबित हो रहा है।

रिटर्निंग अधिकारी को करें आवेदन –

जिन अभ्यर्थियों ने चुनाव के लिए फॉर्म जमा किए थे, वे रिटर्निंग अधिकारी के पास पावती ले जाकर आवेदन कर सकते हैं। उनके द्वारा जमा की गई जमानत राशि वापस मिल जाएगी।

– रोशनी पाटीदार, उप निर्वाचन अधिकारी, धार



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