शिवराज सरकार पर ठेकेदारों ने लगाया 50 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप


इस पत्र को उस नेता अरुण यादव ने शेयर किया है और इसके बाद से मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल बढ़ गई है।


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बड़ी बात Updated On :

भोपाल। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में ठेकेदारों द्वारा उठाया गया भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का मुद्दा अहम रहा जिसने भारतीय जनता पार्टी की सरकार के खिलाफ माहौल बनाया। अब एक ऐसा ही मुद्दा मध्य प्रदेश में भी नजर आ रहा है जहां पर ठेकेदार संघ के द्वारा हाईकोर्ट को एक पत्र लिखकर कहा गया है कि उन्हें 50% कमीशन देने के लिए मजबूर किया जाता है यह पत्र हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखा गया है। पत्र की टाइमिंग भी अहम है क्योंकि यह विधानसभा चुनावों की आचार संहिता लगने से ठीक पहले जारी किया गया है।

इस पत्र में कहा गया है कि कमीशन लेने के बाद ठेकेदारों को स्वीकृत टेंडर में से 10% राशि ही काम के लिए बचती है। कांग्रेस नेता अरुण यादव ने इस पत्र को साझा किया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह शिवराज सरकार को काफी परेशान करने वाला साबित हो सकता है।

लघु ठेकेदार संघ ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के लिए भेजे इस पत्र में लिखा है कि, ‘बीजेपी की वर्तमान सरकार जब से अस्तित्व में आई, तब से लेकर अब तक हम संविदाकारों का जीवन नरक की तरह हो गया है। लगभग हर जिले में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्यों के भुगतान लंबित हैं। किसी भी जिले में पुराने कार्यों का भुगतान करने के लिए कोई बजट नहीं आवंटित किया जा रहा है। विभागीय अधिकारी सरकार से राशि अप्राप्त होने की बात करते हैं। सरकार में कोई सुनने और देखने वाला नहीं है। कुछ दलाल किस्म के लोग सक्रिय हैं जो 50% कमीशन लेकर भुगतान करा रहे हैं।’

संगठन ने पत्र में आगे लिखा है कि, ‘हमारा संगठन मध्यप्रदेश में निर्माण कार्य करने वाले छोटे पेटी संविदाकारों का प्रदेश स्तरीय संगठन है। हम समय समय पर अपने साथियों की पीड़ा को सरकार के सामने एकजुटता के साथ लाने का कार्य करते रहे है। वर्ष 2012 में अस्तित्व में आए हमारे संगठन की सदस्य संस्थाओं ने प्रदेश में पिछले 10 वर्षों में पेटी कांट्रेक्टर के तौर पर करीब 35000 किलोमीटर की सड़क, 1500 छोटे-बड़े भवन, 1000 से अधिक छोटे-बड़े तालाब समेत कई सरकारी निर्माण कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है।’

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित इस पत्र में कहा गया है कि हमारा भुगतान मूल ठेकेदार को प्राप्त होने वाले भुगतान पर निर्भर करता है। मूल ठेकेदार हमें निविदा में स्वीकृत राशि का मात्र 40% हिस्सा देकर कार्य कराते हैं। कुल स्वीकृत राशि में से 50% राशि कमीशन के तौर पर बंट जाती है, 10% राशि मूल ठेकेदार रखते हैं और शेष 40% में ही हमें कार्य भी कराना होता है और अपना परिवार भी पालना होता है।

पत्र में लघु ठेकेदार संगठन ने इस पत्र के माध्यम से सीधे तौर सीएम शिवराज पर गंभीर आरोप हुए लिखा कि हमारे संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलकर अपनी पीड़ा बताई थी। मुख्यमंत्री ने हमें भुगतान कराने का आश्वासन भी दिया। हमारे लिए अपने ओएसडी को फ़ोन भी किया लेकिन ओएसडी सर से मिलने पर उन्होंने चुनावी वर्ष का हवाला देते हुए भुगतान की जाने वाली राशि का 50% पार्टी के लिए खर्च करने की बात कहकर हमें निराश किया है। संघ ने मुख्य न्यायाधीश से पूछा कि आखिर कांट्रेक्टर कहाँ जाएँ?  

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह शिवराज सरकार पर इस तरह के भ्रष्टाचार के आरोप कई बार लगा चुके हैं और उन्होंने यह तक कहा की पटवारी से लेकर कलेक्टर और कमिश्नर तक सबका कमीशन तय होता है।

जाहिर है मुख्यमंत्री शिवराज पर यह सीधा हमला है यह पत्र कितना सही है इसकी पुष्टि फिलहाल नहीं की जा सकती लेकिन कांग्रेस नेता अरुण यादव ने जब इसे साझा किया है और इसके परिणाम भी वे बेहतर समझते हैं।

 

 

 



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