उन्नत पैदावार के लिए किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण, बागवानी फसलों के लिए उत्कृष्टता केंद्रों को स्वीकृति


उत्कृष्टता केंद्र फसल की कटाई के बाद के प्रबंधन, सिंचाई और उर्वरता, पौधों की सुरक्षा, नई किस्मों का परिचय, परागण सहित कई क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और जानकारियों को किसानों को मुहैया कराते हैं।


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Centers of Excellence for horticulture crops

नई दिल्ली। बागवानी में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए भारत सरकार लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में मिशन फॉर इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH) के तहत द्विपक्षीय सहयोग या अनुसंधान संस्थानों के माध्यम से विभिन्न राज्यों में उत्कृष्टता केंद्रों (Centers of Excellence, CoE) की स्थापना की जा रही है।

उत्कृष्टता केंद्र किसानों को बागवानी में उन्नत पैदावार का प्रशिक्षण देने व आधुनिक खेती के तौर तरीके सिखाने में काफी मददगार होते हैं। ये उत्कृष्टता केंद्र बागवानी के क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियों के लिए प्रदर्शन और प्रशिक्षण केंद्र के रूप में भी काम करते हैं और संरक्षित खेती के लिए फलों और सब्जियों की पौध के लिए रोपण सामग्री भी उपलब्ध करवाते हैं।

उत्कृष्टता केंद्र फसल की कटाई के बाद के प्रबंधन, सिंचाई और उर्वरता, पौधों की सुरक्षा, नई किस्मों का परिचय, परागण सहित कई क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और जानकारियों को किसानों को मुहैया कराते हैं।

कितने उत्कृष्टता केंद्र को मंजूरी मिली –

बागवानी में उत्कृष्टता हासिल करने की इस कड़ी में मिशन फॉर इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने अभी तक देश में 49 उत्कृष्टता केंद्रों को मंजूरी दे दी है।

इन 49 उत्कृष्टता केंद्रों में से तीन उत्कृष्टता केंद्रों को 9 मार्च को मंजूरी मिली है। ये उत्कृष्टता केंद्र कर्नाटक, ओडिशा और गोवा में शुरू किये जाएंगे।

कर्नाटक में कमलम (ड्रैगन फ्रूट) के लिए CoE –

इस उत्कृष्टता केंद्र को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों, ऑफ सीजन उत्पादन के तहत नई उत्पादन तकनीक विकसित करने और कमलम की ज्यादा उपज हासिल करने के लिए तकनीकों का प्रदर्शन करने के विजन के साथ शुरू किया जा रहा है।

इसके अलावा इसका लक्ष्य कमलम फल के उत्पादन में आत्म निर्भरता हासिल करना और कृषक समुदाय के लिए आर्थिक विकास को बढ़ाना भी होगा। यह उत्कृष्टता केंद्र बेहतर उपज, सार्वजनिक भागीदारी दृष्टिकोण के माध्यम से गुणवत्ता रोपण सामग्री के वितरण, कटाई के बाद के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल विकसित करने पर केंद्रित रहेगा।

इसके साथ ही, कमलम फसल की कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए और दूरदराज के बाजारों में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भंडारण पर भी इस केंद्र में ध्यान दिया जाएगा। इस केंद्र में किसानों और अन्य हितधारकों को प्रशिक्षण के माध्यम से नई प्रौद्योगिकियों के प्रसार पर जोर दिया जाएगा।

ओडिशा में आम और सब्जियों के लिए CoE –

ओडिशा के जाजपुर जिले में इंडो-इजरायल एक्शन प्लान के तहत आम और सब्जियों के लिए उत्कृष्टता केंद्र की शुरुआत की जाएगी। इस उत्कृष्टता केंद्र का विजन नर्सरी प्रबंधन, खेती के तरीकों, आम और सब्जियों की फसलों की उच्च गुणवत्ता और बड़ी मात्रा में रोपण सामग्री के उत्पादन में नई जानकारियां तैयार करना है।

ये उत्कृष्टता केंद्र नई किस्मों के प्रदर्शन, सिंचाई में इजरायली कृषि प्रौद्योगिकी के साथ-साथ बेहतर कृषि और कटाई के बाद की प्रबंधन तकनीक पर भी फोकस करेगा। किसानों के लाभ के लिए सिंचाई, फर्टिगेशन, नर्सरी, कैनोपी और मूल्य श्रृंखला जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित एक प्रशिक्षण मॉडल भी यह उत्कृष्टता केंद्र तैयार करेगा।

गोवा में सब्जियों और फूलों के लिए CoE –

गोवा के पोंडा का यह उत्कृष्टता केंद्र गोवा के लिए उपयुक्त सब्जियों और फूलों की उन्नत किस्मों की रोग मुक्त बनाने पर फोकस करेगा। इसके अलावा स्वचालित सिंचाई और फर्टिगेशन प्रणाली के माध्यम से उन्नत उत्पादन तकनीक के साथ ही हाई-टेक नर्सरी प्रबंधन प्रणाली का प्रदर्शन भी करेगा। यह केंद्र फसल की कटाई के बाद के प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे को भी मजबूत करेगा।

एकीकृत बागवानी विकास मिशन क्या है –

केंद्र सरकार ने देश के किसानों को मजबूती प्रदान करने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है। इन योजनाओं का एकमात्र उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाने और उनके जीवन स्तर को खुशहाल बनाना है।

इन्हीं योजनाओं में से एक योजना एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) है। इस योजना का मकसद देशभर में फलों, सब्जियों, जड़ व कंद फसलों, मशरूम, मसाले, फूल, सुगंधित पौधों, नारियल, काजू, कोको और बांस इत्यादि के उत्पादन को बढ़ाना है।

बागवानी क्षेत्र का भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक कृषि जीडीपी में बागवानी का योगदान 30.04% है जो बेहद सराहनीय है।

भारत बागवानी फसलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश –

भारत का बीते कुछ दशकों में बागवानी फसलों की तरफ रुझान बढ़ा है। भारत ने वैश्विक स्तर पर बागवानी में उत्कृष्टता हासिल की है। नतीजतन भारत बागवानी फसलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

एक आंकड़े के अनुसार दुनिया में उत्पादित होने वाली कुल फल व सब्जियों का 12 फीसदी हिस्सा भारत में ही पैदा होता है। भारत केला, आम, अनार, चीकू, नींबू, आंवला जैसे फलों का सबसे बड़ा उत्पादक है।

भारत ने वर्ष 2019-20 में बागवानी फसलों के उत्पादन में रिकॉर्ड स्थापित किया था। जिसके तहत भारत ने इस वर्ष रिकॉर्ड 320.77 मिलियन मीट्रिक टन फल व सब्जियों का उत्पादन किया था जिसमें इजरायल तकनीक से स्थापित फल व सब्जी उत्कृष्टता केंद्रों की भूमिका अहम रही थी।

भारतीय बागवानी क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने की संभावनाएं काफी ज़्यादा हैं इसी को ध्यान में रखकर सरकार उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना कर रही है।



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