बढ़े हुए तापमान से गेहूं उत्पादन पर खतरा नहीं, सरकार नहीं हटाने जा रही है निर्यात से प्रतिबंध

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नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में आ रही गर्मी के कारण फसलों को होने वाले नुकसान को लेकर चिंता की जा रही है और विश्वभर में जानकार इसके चलते खाद्य सुरक्षा को होने वाले नुकसान को लेकर चिंतित हैं। ऐसे में  केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने जोर देकर कहा है कि तापमान बढ़ने के कारण गेहूं की फसलों को नुकसान होने की संभावना नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस वर्ष में 112 मिलियन टन का गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हासिल होगा। चौपड़ा ने कहा कि गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी रहेगा, जिससे सरकारी खरीद के लिए अनाज की उपलब्धता बढ़ेगी। चौपड़ा ने सरकार द्वारा खरीदी के लक्ष्यों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सरकार   2023-24 के विपणन वर्ष (अप्रैल-मार्च) में करीब 3.5 करोड़ टन गेहूं की खरीद करेगी।

खाद्य सचिव गेहूं की स्थिति और सरकारी खरीद पर बात कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने उत्पादन लक्ष्यों को लेकर भी बात की। दरअसल रबी की प्रमुख फसल गेहूं की अधिकांश खरीद अप्रैल और जून के बीच होती है ऐसे में तापमान को बाजार की जरुरत पूरी करने और सरकारी खरीदी के लक्ष्य हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण तथ्य माना जा रहा है।

खाद्य सचिव ने आगे कहा कि गेहूं की कीमतों में कमी आई है और नई फसल आने के बाद कीमतों में और गिरावट आएगी। उन्होंने कहा कि बुधवार को हमने राज्य के खाद्य सचिवों के साथ एक बैठक की है, जिसके बाद राज्य के खाद्य मंत्रियों के साथ एक बैठक हुई। और हमने बैठक में पाया है कि देश में खाद्य परिदृश्य बहुत ही आरामदायक है।

बढ़ते तापमान के गेहूं उत्पादन के असर पर उन्होंने कहा कि मौसम विभाग ने मौसम की स्थिति के संबंध में एक पूरी प्रस्तुति दी है और इसके अनुसार अगले दो हफ्तों में गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाने वाली कोई गर्मी की लहर की उम्मीद नहीं है, ये अगले दो हफ्ते फसलों के पनपने के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि होते हैं।

इस दौरान उन्होंने जोर देकर कहा, “… हालांकि तापमान थोड़ा ज्यादा है, लेकिन गेहूं की फसल को कोई नुकसान होने की उम्मीद नहीं है।”

खुले बाजार में 50 लाख टन गेहूं बेचने के सरकार के फैसले के बाद गेहूं की खुदरा कीमतों पर प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर चोपड़ा ने कहा कि दरों में करीब 10 फीसदी की कमी आई है। उन्होंने कहा, “मंडी की कीमतें, जो हमारे लिए चिंता का विषय थीं, भी धीरे-धीरे नीचे आ रही हैं। चोपड़ा ने कहा, “इसलिए जब और जब हम इस सीजन का गेहूं बाजार में लाना शुरू करेंगे, तो जाहिर है कि कीमतों में और गिरावट आएगी

उन्होंने बताया कि मंडी स्तर पर गेहूं की मॉडल कीमतें 25 जनवरी को 2,800 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 2,300 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई हैं, जब ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) शुरू की गई थी।

खाद्य सचिव ने यहां बताया कि सरकार के पास निर्यात प्रतिबंध हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। सरकार ने गेहूं और आटे की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए पिछले साल मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस बात की संभावना पर कि नई फसलों की आवक से किसानों के हितों को नुकसान पहुंच रहा है, गेहूं की कीमतें एमएसपी से नीचे आ सकती हैं लेकिन यह दरें एमएसपी के आसपास ही रहेंगी। इसी तरह टूटे चावल पर प्रतिबंध हटाने की योजना पर सचिव ने कहा कि फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है और सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के बारे में सहज महसूस होने पर निर्यात की अनुमति देने पर विचार करेगी।



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