विपक्षी नेताओं ने मणिपुर के मुद्दे पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु से की मुलाकात, कहा, पीएम मोदी से कहिए कि संसद में दें जवाब


प्रधानमंत्री से मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर संसद को तत्काल संबोधित करने और उसके बाद मामले पर विस्तृत और व्यापक चर्चा करने के लिए कहने का आगृह किया।


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वरिष्ठ विपक्षी नेताओं ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और मणिपुर के संबंध में चर्चा की। यहां सांसदों ने मणिपुर में शांति और सद्भाव को फिर से स्थापित करने और वहां हुई तबाही की जवाबदेही तय करने के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि पिछले कुछ हफ्तों में राज्य में स्थिति गंभीर स्थिति पर पहुंच गई है, जिससे कानून-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।

राष्ट्रपति को एक ज्ञापन में, विपक्षी गठबंधन इंडिया ने उनसे आग्रह किया कि वे “प्रधानमंत्री से मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर संसद को तत्काल संबोधित करने और उसके बाद मामले पर विस्तृत और व्यापक चर्चा करने के लिए कहने का आगृह किया”। उन्होंने कहा कि मणिपुर के सामने असाधारण स्थिति है। “पिछले दिनों सामने आए चौंकाने वाले वायरल वीडियो ने देश को झकझोर दिया है, और यह स्पष्ट है कि राज्य प्रशासन और पुलिस मामले में तुरतं कार्रवाई करने में विफल रहे हैं। इसके बाद, यह भी बताया गया कि मणिपुर में हुई यह घटना इकलौती नहीं है मणिपुर में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं।

विपक्ष ने कहा कि सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल, जिसने बीते सप्ताह मणिपुर का दौरा किया वहां उन्होंने राज्य का हाल देखा जहां लोग खतरनाक हालातों में थे इन सांसदों ने देश को राज्य की गंभीर और चिंताजनक स्थिति से अवगत कराया और बताया कि हिंसा का प्रभाव विनाशकारी रहा है। जिसमें 200 से अधिक लोगों की जान चली गई, 500 से अधिक घायल हो गए हैं। सांसदों ने बताया कि आगजनी से संबंधित घटनाओं में 5,000 से अधिक घर जल गए और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। ये लोग राज्य भर के राहत शिविरों में बेहद कठिन परिस्थितियों में रह रहे हैं।

विपक्ष ने राष्ट्रपति दो दिए गए एक ज्ञापन में कहा कि उनके इस प्रतिनिधिमंडल ने चुराचांदपुर, मोइरांग और इंफाल सहित तीन अलग-अलग संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविरों का दौरा किया, जहां उन्होंने प्रभावित लोगों के साथ बातचीत की, उनकी चिंताओं को सुना और विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए गंभीर जीवन स्थितियों को प्रत्यक्ष रूप से देखा है। जहां राहत शिविरों में लोगों को भोजन और राहत सामग्री की कम उपलब्धता के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वे स्थायी भय और असुरक्षा की स्थिति में रह रहे हैं, और उन्हें अपने जीवन के पुनर्निर्माण के लिए सुरक्षित और उचित पुनर्वास की आवश्यकता है।

राज्य में तीन महीने तक चले इंटरनेट प्रतिबंध ने विभिन्न समुदायों के बीच अविश्वास को और बढ़ा दिया है और गलत सूचना के प्रसार को बढ़ावा दिया है। लगभग तीन महीने तक स्कूल और कॉलेज बंद रहने से मणिपुर में बच्चों और युवाओं की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

विपक्ष ने राष्ट्रपति को बताया कि इस मुद्दे पर विस्तृत और व्यापक चर्चा के बाद प्रधानमंत्री के बयान की उनकी मांग को संसद के दोनों सदनों में खारिज कर दिया गया है। राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं को चुप कराना और संसद में उनके माइक को बीच-बीच में बंद करना हमारे संसदीय लोकतंत्र में एक नया निचला स्तर है और यह स्थिति अत्यधिक चिंताजनक है



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