20 विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार के बीच सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका


बुधवार को विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि इस सरकार में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है। ऐसे में नए भवन का कोई मतलब नहीं है।


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नई दिल्ली। संसद भवन की नई इमारत के उद्घाटन समारोह को लेकर शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। भारत की कुल 40 राजनीतिक दलों में से 20 विपक्षी पार्टियों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की घोषणा कर दी है। दूसरी तरफ, भाजपा समेत 17 विभिन्न राजनीतिक दलों ने सरकार द्वारा भेजे गए न्यौते को स्वीकार कर लिया है।

इस बीच, इस विवाद में अब सुप्रीम कोर्ट की भी एंट्री हो गई है। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई है जिसमें याचिकाकर्ता ने मांग की है कि नई संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से ही करवाए जाने का निर्देश दिया जाए।

याचिकाकर्ता का कहना है कि लोकसभा सचिवालय ने देश के सर्वोच्च पद पर आसीन राष्ट्रपति को उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं करके संविधान का उल्लंघन किया है।

बता दें कि संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले विपक्षी दलों का कहना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसका उद्घाटन कराने का निर्णय न केवल गंभीर अपमान है, बल्कि यह लोकतंत्र पर भी सीधा हमला है।

बुधवार को विपक्षी दलों ने संयुक्त बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि इस सरकार में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है। ऐसे में नए भवन का कोई मतलब नहीं है।

20 पार्टियां विरोध कर रहीं: कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, DMK, आम आदमी पार्टी, शिवसेना (उद्धव गुट), समाजवादी पार्टी, राजद, CPI, JMM, केरल कांग्रेस (मणि), VCK, रालोद, राकांपा, JDU, CPI (M), IUML, नेशनल कॉन्फ्रेंस, RSP, AIMIM और MDMK।

विरोध करने वाले दलों का लोकसभा में 26.38% (कुल 143 सदस्य) और राज्यसभा में 38.23% (91 सदस्य) प्रतिनिधित्व है।

भाजपा समेत 17 पार्टियां शामिल होंगी: भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), शिरोमणी अकाली दल, NPP, NDPP, SKM, JJP, RLJP, RP (अठावले), अपना दल (एस), तमिल मनीला कांग्रेस, AIADMK, BJD, तेलुगूदेशम पार्टी, YSR कांग्रेस, IMKMK और AJSU MNF।

लोकसभा में 60.82% (सदस्य 328) और राज्यसभा में 42.86% (102 सदस्य) प्रतिनिधित्व।

नए संसद भवन में 28 मई यानी रविवार सुबह हवन के साथ पूजा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 12 बजे भवन का उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर संसद भवन के निर्माण में योगदान देने वाले श्रमयोगियों का सम्मान भी किया जाएगा।

पीएम मोदी 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास पवित्र सेंगोल (राजदंड) स्थापित करेंगे। अंग्रेजों की तरफ से 14 अगस्त 1947 की रात इसे पंडित जवाहरलाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के रूप में सौंपा गया था।

1960 से पहले यह आनंद भवन और फिर 1978 से इलाहाबाद म्यूजियम में रखा था। अब 75 साल बाद राजदंड का संसद में प्रवेश होगा।



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