द मोदी क्वेश्चन डॉक्युमेंट्री बीबीसी को पड़ रही भारी, आयकर विभाग ने शुुरू की कार्रवाई


BBC की डॉक्यूमेंट्री से नाराज़ है केंद्र सरकार, इसे पीएम मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार माना गया


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नई दिल्ली। आयकर विभाग के अधिकारियों की टीम दिल्ली और मुंबई में बीबीसी कार्यालय में ‘सर्वे’ कर रही है। आयकर विभाग के एक प्रवक्ता ने एक अंग्रेज़ी अख़बार को को बताया कि ये सर्वे कई स्थानों पर किए गए हैं।

आयकर विभाग के अधिकारियों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि ‘सर्वे’ एक “कर चोरी की जांच” का हिस्सा थे, और अधिकारी कंपनी के व्यवसाय संचालन से संबंधित दस्तावेजों को देख रहे थे।

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली के केजी मार्ग एरिया में एचटी टॉवर की पांचवीं और छठवीं मंजिल पर बीबीसी का ऑफिस है, जहां आयकर विभाग की 24 मेंबर्स की टीम ने रेड की है।

सूत्रों ने बताया कि एक्शन के दौरान स्टाफ के फोन बंद करा दिए गए हैं और सभी को मीटिंग रूम में बैठने को कहा गया है।

इधर, मुंबई के सांताक्रूज इलाके में बीबीसी स्टूडियोज पर भी इनकम टैक्स विभाग की टीम पहुंची है। आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार, बीबीसी पर इंटरनेशनल टैक्स में गड़बड़ी का आरोप है। इसी को लेकर सर्वे किया जा रहा है।

हालांकि, आयकर विभाग या बीबीसी की तरफ से अब तक इस रेड को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।

वहीं, बीबीसी के ऑफिसों पर कार्रवाई को कांग्रेस ने पीएम मोदी पर बनी उसकी डॉक्युमेंट्री से जोड़ा है। पार्टी ने ट्वीट कर इसे अघोषित आपातकाल बताया है। पार्टी ने अपने ट्वीट में लिखा- पहले बीबीसी की डॉक्युमेंट्री आई, उसे बैन किया गया। अब बीबीसी पर आयकर का छापा पड़ गया है। अघोषित आपातकाल।

उल्लेखनीय है कि हालही में बीबीसी द्वारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर दो-भाग की डॉक्यूमेंट्री – ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ जारी की गई थी। जिसके चलते पीएम नरेंद्र मोदी पर गुजरात दंगों के आरोप एक बार फिर चर्चाओं में आ गए थे और इससे उनकी छवि को खासा नुकसान पहुंच रहा था।

इसके बाद केंद्र सरकार ने डॉक्युमेंट्री को यूट्यूब और ट्विटर पर बैन करवा दिया था और अब बीबीसी पर करचोरी के आरोप में  यह सर्वे है।

बीबीसी की डॉक्युमेंट्री जो 2002 के गुजरात दंगों के लिए पीएम मोदी और उनकी तत्कालीन राज्य सरकार की प्रतिक्रिया पर केंद्रित है सरकार और उनके प्रवक्ताओं ने इस डॉक्युमेंट्री को अपने खिलाफ प्रचार का एक माध्यम बताया।

अधिकारियों ने कहा कि वृत्तचित्र को “भारत की संप्रभुता और अखंडता को कमजोर करने वाला” पाया गया और इससे देश के “विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध” और “देश के भीतर सार्वजनिक व्यवस्था” पर “प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

वहीं डॉक्यूमेंट्री का बचाव करते हुए, बीबीसी के एक प्रवक्ता ने कहा था, “डॉक्यूमेंट्री पर उच्चतम संपादकीय मानकों के अनुसार कठोर शोध किया गया था।”

बीबीसी को ब्रिटेन में भी कुछ राजनेताओं द्वारा इसके लिए आलोचना सहनी पड़ी। इनमें भारतीय मूल के उनके प्रधानमंत्री और पीएम मोदी के प्रशंसक ऋषि सुनक भी शामिल हैं।



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