बिजली कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन


मध्यप्रदेश में बिजली कंपनियों के प्रस्तावित निजीकरण को रोकने के लिए 17 अधिकारी/कर्मचारी संगठनों के निजीकरण विरोधी संयुक्त मोर्चा द्वारा संचालित आंदोलन की कड़ी में शुक्रवार को पूरे प्रदेश में जिला कलेक्टरों के माध्यम से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ज्ञापन सौंपे गए।


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भोपाल। मध्यप्रदेश में बिजली कंपनियों के प्रस्तावित निजीकरण को रोकने के लिए 17 अधिकारी/कर्मचारी संगठनों के निजीकरण विरोधी संयुक्त मोर्चा द्वारा संचालित आंदोलन की कड़ी में शुक्रवार को पूरे प्रदेश में जिला कलेक्टरों के माध्यम से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ज्ञापन सौंपे गए।

निजीकरण विरोधी संयुक्त मोर्चा ने इसी कड़ी में शुक्रवार को भोपाल के जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। इस अवसर पर सभी 17 संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे। कलेक्टर की अनुपस्थिति में एसडीएम राकेश गुप्ता ने ज्ञापन लिया और उपस्थित प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि सीएम को आगे की कार्यवाही हेतु ज्ञापन भेज दिया जाएगा।

बता दें कि 20 सितंबर 2020 को केंद्र सरकार के द्वारा सभी राज्यों की बिजली कंपनियों के निजीकरण किये जाने हेतु एक स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी कर राज्य सरकारों को 32 सप्ताह में कार्यवाही सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित किया गया है।

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केंद्र सरकार ने इस संबंध में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2021 के माध्यम से बिजली कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर ली है। कर्मचारी संगठनों का मत है कि सरकार केवल एक रुपये की लीज पर 15 साल के लिए बिजली कंपनियों की अरबों-खरबों की जमीनें, लाइनें, ट्रांसफॉर्मर, सब स्टेशन, अधोसंरचना और परिसंपत्तियां बड़े पूंजीपतियों को सौंपना चाहती है।

इससे केवल पूंजीपतियों को ही लाभ होगा तथा सरकार, उपभोक्ताओं और कर्मचारियों तीनों वर्गों का नुकसान होगा। निजीकरण से उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मिलेगी।
किसानों को पहले बिजली का बिल भरना होगा बाद में सब्सिडी किसानों के बैंक खाते में वापस करने का प्रावधान किया गया है। निजीकरण के बाद सरकारी कर्मचारी प्राइवेट कंपनी के कर्मचारी हो जाएंगे।

नौजवानों को सरकारी बिजली कंपनियों में नौकरी मिलने के अवसर समाप्त हो जाएंगे। इसके साथ ही वर्तमान में संविदा व आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से जो कर्मचारी बिजली कंपनियों में नौकरी कर रहे हैं, उन्हें नौकरी से निकाले जाने का संकट पैदा हो जाएगा।

कर्मचारी संगठनों का कहना है कि सरकार ने निजीकरण का निर्णय लेने के पूर्व किसी भी कर्मचारी संगठन का मत, अभिमत या चर्चा तक नहीं की। इससे कर्मचारी, पेंशनर्स, संविदा व आउटसोर्स कर्मचारियों में भय व रोष व्याप्त है।

सरकार ने यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि वर्तमान में जो पेंशनर्स हैं अथवा जो भविष्य में सेवानिवृत्त होंगे उनकी पेंशन, ग्रैच्युटी, सेवानिवृत्ति लाभों को देने की जिम्मेदारी किसकी होगी, संविदा तथा आउटसोर्स कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया क्या होगी।

बिजली कंपनियों का निजीकरण करने के सरकार के एकतरफा निर्णय के खिलाफ 17 कर्मचारी संगठनों ने मिलकर निजीकरण को रोकने के लिए निजीकरण विरोधी संयुक्त मोर्चा के गठन कर मध्यप्रदेश में आंदोलन का शंखनाद कर दिया है।

5 फरवरी 2021 को जबलपुर में व 15 फरवरी 2021 को इंदौर में बड़ी रैलियां करके विरोध दर्ज कराया गया था। इसी कड़ी में शुक्रवार 5 मार्च 2021 को मध्यप्रदेश में सभी जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किये गए हैं।

संयुक्त मोर्चा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए तथा संयुक्त मोर्चा को चर्चा के लिए आमंत्रित कर कर्मचारियों की मांगों का त्वरित समाधान किया जाए। अन्यथा मजबूर होकर संयुक्त मोर्चा प्रदेश में एक बड़े आंदोलन के लिए अग्रसर होगा।



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