बरसते पानी में मोदी सरकार पर गरजे किसान नेता

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उनकी बात Published On :

इंदौर। नर्मदा बचाओ आंदोलन के 36 साल पूरे होने पर आज बड़वानी में आयोजित नर्मदा किसान मजदूर जन संसद में देशभर के प्रतिनिधियों ने सरकार को चेतावनी दी कि वह तीनों कृषि कानून तथा बिजली संशोधन बिल तत्काल वापस ले और कॉरपोरेट तथा अडनी अंबानी के समर्थन में काम करना बंद करें।

इस जन संसद में न केवल मध्य प्रदेश बल्कि महाराष्ट्र और गुजरात सहित देशभर के कई जाने-माने जन संगठनों के नेता जन सांसद के रूप में मौजूद थे।

यहां इन सभी राज्यों से आए 111 से अधिक जन सांसदों की जन संसद में 20 से ज्यादा वक्ताओं ने अपनी बात रखी और अंत में पारीत जनादेश में तीन राज्य तथा केंद्र शासन की ओर से जबरन भू अधिग्रहण, नर्मदा घाटी की उपजाऊ भूमि, पहाड़ी जंगल पेड़ तथा सांस्कृतिक धार्मिक धरोहर का विनाश तथा किसान विरोधी नजरिए का प्रतीक रहा है।

सरकार अपने इस मनोवृत्ति को बदलें और 1893 के कानून के आधार बनाकर किया गया अधिग्रहण विभिन्न समुदायों की आजीविका के साधनों को छीनना, डुबोना और नष्ट करना बंद करे।

जन संसद के पहले विजय स्तंभ चौक से शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद विशाल रैली शुरू हुई जिसमें देश भर से आए हुए रेलगाड़ियों पर सवार थे उनका जगह-जगह स्वागत हुआ।

क्रांतिकारी गीत और नारों के साथ यह रैली पूरे बड़वानी शहर में घूमते हुए कृषि उपज मंडी प्रांगण में पहुंचकर जन संसद में बदल गई।
जन संसद की अध्यक्षता किसान संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत, हनन मोहल्ला योगेंद्र यादव, डॉ सुनीलम, गुरजीत कौर, पूनम पंडित सहित 8 सदस्य सभापति मंडल ने की।

की जन संसद में मध्यप्रदेश के बड़वानी ,खरगोन ,धार ,झाबुआ, ललाम, उज्जैन, बेतूल ,देवास, इंदौर सहित कई जिलों के कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की। बड़ी संख्या में मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासियों ने तथा गुजरात के। प्रतिनिधियों ने भी इस किसान मजदूर जन संसद में भागीदारी की। इसी के साथ सेन्चुरी सहित पीथमपुर के कई मजदूर संगठनों के सदस्यों ने भी आज की जन संसद में भागीदारी की ।

इस जन संसद को संबोधित करते हुए किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को तीनों कृषि बिल और बिजली संशोधन बिल वापस लेना ही होंगे यदि यह तीनों कानून वापस नहीं हुए तो वह आंदोलन जारी रहेगा।

यह आंदोलन किसानों के मान सम्मान और स्वाभिमान का आंदोलन है और यह सरकार जो किसानों के और मजदूरों के सम्मान से खिलवाड़ कर रही है वह अब चलने वाला नहीं है एमएसपी भी देना होगी तीनों की शान कानून भी वापस लेना होंगे अन्यथा इस सरकार को जाना होगा।

योगेंद्र यादव ने जन संसद को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार किसानों मजदूरों की विरोधी है और कारपोरेट के पक्ष में काम कर रही है । सरकार का पहला काम अडानी अंबानी जैसे पूंजी पतियों की दौलत बढ़ाने का है और वह इसी हिसाब से कानून बनाते हुए किसानों और मजदूरों के खिलाफ काम कर रही है।

जन संसद में बोलते हुए किसान संघर्ष समिति के नेता डा सुनीलंम ने कहा कि आज देश भर के संयुक्त किसान मोर्चे के नेता नर्मदा घाटी की 36 साल से चल रही लड़ाई पर सभी संघर्षशील नेताओं को बधाई देने ,सलाम करने के लिए आए हैं और यह आंदोलन देश के तमाम जन आंदोलनों का प्रेरणा देने वाला भी रहा है इसलिए बड़वानी की धरती से हम केंद्र की सरकार को चेतावनी देना चाहते हैं कि वह तत्काल किसान और मजदूरों के विरोध में काम करना बंद करें तथा किसान बिल ,बिजली संशोधन बिल और मजदूरों के कानूनों में किए गए बदलाव को तत्काल वापस ले।

पिछले 36 साल से नर्मदा घाटी के आंदोलन का नेतृत्व कर रही मेधा पाटकर ने जन संसद को संबोधित करते हुए जहां विस्तार से नर्मदा आंदोलन की जानकारी दी वहीं कहा कि घाटी के किसान मजदूरों ने अपने अहिंसक सत्याग्रही संघर्ष से ही पुनर्वास के कई अधिकार हासिल किए हैं, लेकिन अभी भी यह लड़ाई जारी है क्योंकि कई लोगों के हकों को सरकार ने अभी तक दिया नहीं है।

इसलिए यह लड़ाई जारी रहेगी नर्मदा बचाओ आंदोलन और देश में चल रहे किसान आंदोलन की एकजुटता के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि देश के किसानों की जो लड़ाई चल रही है। वहां अंतिम निर्णय तक पहुंचाने के लिए नर्मदा घाटी के सभी साथी प्रतिबद्ध है ।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता तथा कई बार संसद में जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले हन्नान मोल्ला ने विस्तार से नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा किसानों और मजदूरों के खिलाफ किए जा रहे निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि यह सरकार किसानों और मजदूरों के हको पर कुठाराघात कर रही है और इसी के खिलाफ देश भर के किसान जहां संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में पिछले साढे 8 महीने से सड़कों पर है, वहीं तमाम राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों के आव्हान पर देशभर के लाखों लाख मजदूर भी सरकार के खिलाफ संघर्षरत हैं।

 



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