भाजपा के दो नेताओं से चार बार हारने वाले अंतर सिंह दरबार खुद हुए भगवाधारी, नए पद और सपने पूरे होने का मिला है भरोसा


दरबार के लिए मिल सकता है ये नया पद, भाजपा में दरबार को लेकर अंर्तकलह



लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा की न्यू ज्वाइनिंग टीम मप्र में कांग्रेस को बुरी तरह तोड़ने के प्रयास में है। कांग्रेस पार्टी के नेताओं को तरक्की का सपना दिखाकर भाजपा में लाया जा रहा है। इस सपने के पीछे कांग्रेस संगठन के मजबूत नेता भी जा चुके हैं और यह सिलसिला जारी है। इस बार भाजपा में जाने वालों में इंदौर जिले के दो बड़े नेता शामिल हैं। महू विधानसभा से तीन बार विधायक रहे अंतर सिंह दरबार आज इंदौर के धनाढ्य नेता पंकज सिंघवी के साथ भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने बीते साल नवंबर में पार्टी से इस्तीफा दिया था।

दरबार एक बड़े काफिले के साथ भोपाल के लिए रवाना हुए और भाजपा कार्यालय में उन्होंने पार्टी के बड़े नेताओं के सामने भगवा गमछा पहन लिया। अंदरखाने की खबरों की मानें तो पार्टी उन्हें आने वाले दिनों में कुछ अच्छा देने का वादा कर चुकी है और बताया यह भी जा रहा है कि दरबार से उनका सपना पूरा करने का वादा भी भाजपा ने किया है। महू विधानसभा क्षेत्र में यह बात सर्वविदित है कि अंतर सिंह दरबार का सपना फिर एक बार विधायक बनने का है।

जानकारी के मुताबिक दरबार को अगले कुछ महीनों में एक बड़ा पद मिल सकता है। दरबार इससे पहले आईपीसी बैंक के अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं अब अगले विधानसभा चुनावों में भी वे भाजपा के उम्मीदवार बन सकते हैं और शायद उनका फिर विधायक बनने का सपना भी इसी तरह पूरा हो जाए।

 

अंतर सिंह दरबार का जाना महू विधानसभा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को इसका लाभ मिलेगा और कांग्रेस के खिलाफ उनकी बढ़त और मजबूत होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि दरबार का नाम महू विधानसभा में बड़ी भीड़ लाने के लिए जाना जाता है।

शुक्रवार सुबह जब अंतर सिंह दरबार भोपाल के लिए रवाना हुए तो उनके साथ वाहनों का एक बड़ा काफिला था।  इस काफिले का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रास्ते में पड़ने वाले कस्बों में इसकी वजह से कई बार जाम लगा और आखिर में भोपाल पहुंचने पर भी यह स्थिति बनी रही। हालांकि यह काफिला इतना बड़ा नहीं था जिसका दावा उन्होंने किया था।

कितना फर्क पड़ा…

दरबार महू विधानसभा के बड़े नेता हैं ऐसे में यह कहना गलत नहीं है कि उनकी पूरी तरह कांग्रेस से बिदाई के बाद विधानसभा में पार्टी कमजोर हुई है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि पार्टी खत्म हो गई। दरअसल अंतरसिंह दरबार जब पिछले साल बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरे तो कई कांग्रेसी उनके साथ थे जिन्हें इसका खामियाज़ा पार्टी से निष्काषित किये जाने के तौर पर भुगतना पड़ा लेकिन अब उनमें से कई का निष्काषन पार्टी ने वापिस ले लिया है और ये नेता कांग्रेस नहीं छोड़ रहे हैं। इसके अलावा महू से तीन जिला पंचायत सदस्य भी भाजपा में नहीं जा रहे हैं। हालांकि दरबार खेमे से यह दावा किया जा रहा है कि कई सरपंच उनके साथ हैं लेकिन कांग्रेसियों के मुताबिक यह सही नहीं है। दरबार के कट्टर सर्मथक मानपुर के ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर पटेल और अशोक सैनी भी कांग्रेस में नहीं जा रहे हैं, बताया जाता है कि उन्होंने इसके लिए साफ तौर पर इंकार कर दिया।

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि दरबार के साथ कौन से लोग जा रहे हैं। दरबार के करीबी रहे कांग्रेसियों के मुताबिक इसका जवाब है व्यापारी। कुछ नेताओं के मुताबिक अंतर सिंह दरबार के उनके पुर्वैया ठाकुर समाज के बहुत से लोग जो अब तक कांग्रेस में थे अब भाजपा में होंगे। हालांकि इनमें से भी कई ने जाने से इंकार किया है।

जानकारी के मुताबिक दरबार के साथ जाने वालों में कई ऐसे खदान संचालक और दूसरे व्यापारी शामिल हैं जिनका व्यापार भाजपा सरकार में बेहद धीमा हो गया था। कांग्रेस पदाधिकारियों में मानपुर के नगर अध्यक्ष रहे राजू ठाकुर जाने वालों में शामिल हैं।

जनता पर दिमागी प्रभाव डालने की कोशिश

भारतीय जनता पार्टी के नेता जानते हैं कि दरबार के भीड़ के साथ भोपाल पहुंचने और भाजपा में शामिल होने से क्षेत्र की जनता पर एक बड़ा मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा ऐसे में इस भीड़ को बढ़ाने में भाजपा के नेताओं ने भी मदद की है। इनमें युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष मनोज ठाकुर, पार्टी के ग्रामीण इलाके से पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक सोमानी भी अहम भूमिका में बताए जाते हैं। ये दोनों ही नेता मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के खास हैं ऐसे में समझना मुश्किल नहीं कि यह उन्हीं के इशारे पर हो रहा है।

कांग्रेस की टूट में भाजपा भी टूट रही

कांग्रेस के इन दरबार का भाजपा में विलय और कुछ नेताओं का इसमें सहयोग दरअसल महू में भारतीय जनता पार्टी की ही अंदरूनी टूट की ओर भी इशारा है। दरअसल दो रोज पहले ही अंतर सिंह दरबार ने 1100 वाहनों के साथ भोपाल जाकर भाजपा में शामिल होने की बात अपने सर्मथकों के बीच कही थी। इसके बाद से उनके विरोधी रहे भाजपाई परेशान थे। इनमें प्रमुख रूप से पूर्व मंत्री और मौजूदा विधायक उषा ठाकुर और उनके सर्मथक शामिल हैं। जिन्होंने गुरूवार को महू में दरबार के भाजपा में शामिल होने के विरोध में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ एक हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था।

उषा ठाकुर का विरोध और विजयवर्गीय का समर्थन

ऐसे में एक ओर भाजपाई दरबार के भोपाल पहुंचने और पहुंचाने में सहयोग कर रहे हैं तो दूसरी ओर उनका विरोध भी हो रहा है। उषा ठाकुर दो बार दरबार को बड़ी मात दे चुकी हैं और ऐसे में अब वे उनके साथ ही पार्टी में रहेंगी। हालांकि अब अंतर सिंह दरबार मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के पूरे प्रभाव में हैं और पार्टी के अंदर भी उन्हें संरक्षण देने का वादा किया गया है। उषा ठाकुर और कैलाश विजयवर्गीय के बीच बैर की जानकारी भी आम है ऐसे में क्यों भाजपा का एक खेमा ठाकुर का विरोध कर रहा है और दूसरा उनका सहयोग इसे समझना मुश्किल नहीं है और इसे भी समझना चाहिए कि अब कांग्रेस की तरह भाजपा के नेताओं में भी बड़े गुट बंटे हुए हैं जिन्हें फिलहाल सत्ता और जीत की गोंद ने एक साथ चिपका रखा है।

 



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