कुक्षी: सीएम करेंगे टंट्या मामा गौरव यात्रा का शुभारंभ, बताएंगे PESA कानून की खूबियां


सीएम शिवराज सिंह चौहान के दौरे की सूचना पर शनिवार को अधिकारियों ने कुक्षी में आयोजन स्थल का दौरा किया है। कुक्षी में कृषि उपज मंडी प्रागंण में सीएम चौहान की सभा कार्यक्रम प्रस्तावित है।


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धार Published On :
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धार। जिले के कुक्षी में जनजातीय वर्ग को मप्र में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर लागू किए गए पेसा अधिनियम के फायदे बताने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान कुक्षी आ रहे हैं। इसी दिन टंट्या मामा गौरव यात्रा की भी शुरूआत होने जा रहा है।

यह यात्रा जनजातीय वर्ग के प्रभाव वाली सीटों पर निकलेगी, जो इंदौर पहुंचेगी जहां इस यात्रा का समापन होना है। जानकारी के अनुसार इसका शुभारंभ कुक्षी से होने जा रहा है।

सीएम शिवराज सिंह चौहान के दौरे की सूचना पर शनिवार को अधिकारियों ने कुक्षी में आयोजन स्थल का दौरा किया है। कुक्षी में कृषि उपज मंडी प्रागंण में सीएम चौहान की सभा कार्यक्रम प्रस्तावित है।

हालांकि अभी आधिकारिक दौरा जिला प्रशासन को प्राप्त नहीं हुआ है, लेकिन सूचना के बाद कलेक्टर प्रियंक मिश्रा, एडीएम श्रृंगार श्रीवास्तव, एएसपी देवेंद्र पाटीदार ने कृषि उपज मंडी का दौरा किया और व्यवस्थाओं का जायजा लिया।

इस दौरान भाजपा के प्रदेश मंत्री जयदीप पटेल ने आयोजन को लेकर संगठन की तरफ से भी जानकारियां प्रशासन के समक्ष रखी और व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा की।

गौरव यात्रा निकालेगी भाजपा –

निमाड़ हमेशा से कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक रहा है। यहां से भाजपा को जीत दर्ज करना हमेशा से मुश्किल रहा। यही कारण है कि कांग्रेस की सरकार गिरने के बाद से पूरा फोकस भाजपा का जनजातीय वर्ग पर है।

मांडू-झाबुआ में प्रदेश भाजपा संगठन के बड़े प्रशिक्षण शिविर हो चुके हैं। अब सरकार के स्तर पर आयोजन शुरू हो रहे हैं।

इसमें सबसे प्रमुख टंट्या मामा गौरव यात्रा है, जिसकी शुरुआत कांग्रेस के गढ़ मानी जाने वाली कुक्षी विधानसभा सीट से सीएम शिवराज सिंह चौहान खुद करने के लिए 20 नवंबर को आने वाले हैं। यह यात्रा इंदौर में समाप्त होना है।

पेसा कानून की खूबियां बताएंगे –

इस दौरान सीएम चौहान कुक्षी में जनजातीय वर्ग को संबोधित करेंगे। साथ ही भगवान बिरसा मुंड की जयंती पर पूरे प्रदेश में लागू हुए पेसा कानून की भी खूबियां बताएंगे।

यह पेसा कानून आदिवासी वर्ग के प्रभाव वाले क्षेत्रों में लागू है और उनके अधिकारों को संरक्षित और दायरा बढ़ाने के लिए प्रदेश में लागू किया गया है।

पेसा कानून का ड्राफ्ट भाजपा में सत्ता वापसी के बाद बन रहा था। करीब डेढ़ दशक की प्रक्रिया के बाद प्रदेश में लागू कर दिया गया।



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