लीडर बनना काफी नहीं भाषण देना, उठना-बैठना और रुकना-चलना सभी कुछ जरुरी है, ट्रेनिंग पर लाखों खर्च कर रहे हैं हमारे नेता


कई नेता ले रहे ट्रेनिंग, अपना व्यक्तित्व प्रभावशाली बनाने के लिए नेताओं की तैयारी


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Published On :

आवाम का लीडर यानी नेता बनना अब केवल बढ़चढ़ कर जमीनी काम करने का नाम नहीं है इसके लिए यह भी पता होना चाहिए कि कहां बोलना है कितना बोलना और कहां नहीं बोलना है ऐसे में सबसे अहम है बोलना यानी नेता का भाषण। यही सीखने के लिए आजकल नेता बहुत मेहनत कर रहे हैं। इनमें दोनों तरह के नेता शामिल हैं जिन्हें बोलना आता है वे अच्छी तरह भाषण देना चाहते हैं और जिन्हें जनता के बीच बोलने में दिक्कत होती है वे इस काबिल बनना चाहते हैं।

कई नेता अब भाषण देना सीखने के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं। इन्हें बोलने के अलावा भाव भंगिमाएं, बोलने में रुकना और धारा प्रवाह बोलना सभी कुछ शामिल है। यह ट्रेनिंग पुणे और बैंगलोर के प्रोफेशनल करवा रहे हैं। नेतागिरी के इस स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम में ये नेता काफी गंभीर दिखाई दे रहे हैं।

इन नेताओं के इस तरह की स्किल सीखने का मजाक भी बन रहा है लेकिन ये नेता इससे घबरा नहीं रहे। इसकी वजह भी है दरअसल संचार का एक सिद्धांत कहता है कि बोले गए शब्दों का महत्व महज 35 फीसदी होता है जबकि उन शब्दों को बोलने का अंदाज ज्यादा मायने रखता है जो 65 फ़ीसदी प्रभाव छोड़ता है। यह बॉडी लैंग्वेज की स्किल्स कई नेताओं को मास्टर ट्रेनर्स सिखा रहे हैं। मध्यप्रदेश के भाजपा, कांग्रेस के कई संभावित दावेदार और हाल ही में घोषित हुए कुछेक उम्मीदवार फिलहाल इस तरह की स्किल्स के लिए पुणे, नागपुर और महाराष्ट्र के दूसरे शहरों में क्लास ले रहे हैं।

इसके लिए वह थोड़ा बहुत नहीं बल्कि बड़ा खर्च कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक ट्रेनिंग का पैकेज 6 से 12 लाख रुपए तक का है। इस ट्रेनिंग में उन्हें भाषण की स्किल्स, इलेक्शन मैनेजमेंट तकनीक, पर्सनल एंड प्रोफेशनल स्पीच डेवलपमेंट सिखाई ही जा रही है। इसके अलावा सीनियर नेताओं के लिए स्पेशलाइज्ड ट्रेनिंग फॉर पॉलिटिकल वीआईपीज जैसा कोर्स भी है। जहां भाषण-संभाषण कौशल तो सिखाया ही जा रहा है। मोटिवेट रहने और करने के लिए मोटिवेशनल सेशन भी तैयार किया गया है। इन सभी कोर्स में नेताओं को मतदाताओं के सामने हाथ जोड़ने, उठने-बैठने और अपने व्यवहार को प्रदर्शन करने की तौर तरीके सिखाए जा रहे हैं।

भाषण सीख रहे एक नेता के सहयोगियों ने बताया कि उनकी इस ट्रेनिंग में भाषण की स्किल्स के अलावा सामान्य तौर पर बोलने और चलने का अंदाज, उठने- बैठने तरीका और चेहरे पर आत्मविश्वास दर्शाने के भी तरीके शामिल हैं। वहीं स्मार्टनेस शो की तकनीक के अलग-अलग पैकेज हैं। इस  पैकेज के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।

नरसिंहपुर के ही एक नेताजी ने तो पब्लिक स्पीच और इलेक्शन मैनेजमेंट व कार्यकर्ता मैनेजमेंट की स्किल के लिए 8 लाख़ खर्च किए हैं और इस समय वाहे पुणे में हैं।
एक स्किल डेवलपमेंट संस्था की एक प्रमुख रश्मि देशमुख नेताजी को भाषण देने की तकनीक के बारे में प्रशिक्षित कर रहीं हैं।  वे कहती हैं कि आप यह समझ लें कि टारगेट अचीव करना सहज नहीं है, हो सकता है  आपको पसीना बहाने के साथ-साथ आंसू भी बहाना पड़े तोभी  झिझके नहीं। वे आगे कहती हैं कि आपका प्रश्न हो सकता है कि आंसू क्यों ? तो मतलब यह है कि आपको किसी के दुख में आंसू बहाने का ड्रामा करना भी पड़े तो वह इच्छा शक्ति बनाए रखना होगी।

देशमुख, नेताजी को कई तरह के टास्क दे रही हैं। चुनिंदा चार या पांच शब्द उनको देती हैं और उन शब्दों के आधार पर भाषण देने की तकनीक सिखाती हैं।
यह प्रैक्टिस वह लगातार करवा रही हैं। ट्रेनिंग लेने वाले नेताओं को ऑब्जरवेशन करने की बारीकियां भी बताई जाती हैं। इस दौरान वे समझाती हैं कि किस तरह है कोई हैंड लॉक करके बैठा है तो उसका मतलब क्या है। यह भाव किस तरह नकारात्मकता उत्पन्न करता है कोई हैंड लॉक करता है या नाक को बार बार टच करता है तो समझो कि वह आपकी बातों में इंटरेस्ट नहीं ले रहा है। ऐसी कई बारीकियां नेताजी सीख रहे हैं।

नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर ऐसी ट्रेनिंग ले चुके एक नेता बताते हैं कि इस तरह का प्रशिक्षण वाकई फायदेमंद है क्योंकि अकेले जमीन पर काम नहीं होता, आजकल जमाना सोशल मीडिया का है हर जगह बोलना आना जरूरी है। अगर आप ठीक ठाक बोल पाते हैं तो बढ़िया वर्ना किया कराया आधा रह जाता है।

फिलहाल ये नेताजी बॉडी लैंग्वेज और टोनॉलिटी पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। इसके लिए वह अपने भाषण के कई वीडियो बना रहे हैं जिन्हें एक्सपर्ट देखते हैं और उनमें खामियां निकालकर बताया जा रहा है कि उन्हें किस तरह बोलना है ,भाव भंगिमा कैसी होना चहिए, यह पाठ पढ़ाया जा रहा है कि की भाषण देने की तकनीक में और क्या-क्या ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

ज़ाहिर है किसी भी तरह का प्रशिक्षण एक लीडर को और भी बेहतर बनाता है। इन नेताओं से उम्मीद की जानी चाहिए कि लोगों तक अपनी बात सुनाने के नए तरीके सीखने के साथ-साथ लोगों के मन की बात भी सुनें।



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