बैलबग्घी दौड़ के रोमांच में झूमे हज़ारों लोग, नरसिंहपुर की अनूठी परंपरा


मंगलवार को यहां  बैलबग्घी दौड़ का आयोजन हुआ। यहां नरसिंहपुर के अलावा होशंगाबाद, हरदा, रायसेन आदि जिलों के पशु पालक भी अपने उम्दा किस्म के बैल लेकर पहुंचे थे।


ब्रजेश शर्मा ब्रजेश शर्मा
नरसिंहपुर Published On :

नरसिंहपुर। मध्य प्रदेश के कई जिलों में अनूठी परंपराएं हैं। जो हर तरह से मनोरंजक भी हैं। इनमें छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा का गोटमार मेला भी है  जिसे देशभर में जाना जाता है। इसमें नदी के दोनों किनारे खड़े लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं। इसी तरह नरसिंहपुर जिले में भी बग्गी दौड़ प्रतियोगिता भी चर्चित है। यहां बीते दिनों बैलबग्घी दौड़ स्पर्धा का आयोजन हुआ। इसमें करीब तीस बैलबग्घियों ने हिस्सा लिया। इस रेस में रोमांच, डर और मनोरंजन सभी कुछ था और इसे देखने के लिए हज़ारों की भीड़ भी थी।

नरसिंहपुर जिला मुख्यालय से लगभग 70 – 75 किलोमीटर दूर साली चौका नगर पंचायत के मारेगाँव में  गुरुदेवा बाबा के नाम से सालाना मेला भरता है। मेले की ख़ासियत यह है कि यहां आसपास के दर्जन भर गांव के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित होते हैं और समाधि व मंदिर में माथा टेकते हैं।

मेले के दूसरे दिन और अधिक भीड़ होती है। इसकी वजह यही बैलबग्घी दौड़ है। मंगलवार को यहां  बैलबग्घी दौड़ का आयोजन हुआ। यहां नरसिंहपुर के अलावा होशंगाबाद, हरदा, रायसेन आदि जिलों के पशु पालक भी अपने उम्दा किस्म के बैल लेकर पहुंचे थे। इस बार बग्घी दौड़ में करीब पचास बैलगाड़ियां शामिल हुईं।

बैलों को बग्घी में लगाया गया और जब वे दौड़े तो उनके पैरों की धूल से आसमान भी मठमैला नज़र आने लगा। हालांकि बैलबग्घी दौड़ पर   पशु क्रूरता के आरोप भी लगते हैं। बीते साल भी यह आरोप लगे और मामले ने काफ़ी तूल भी पकड़ा था लेकिन यह प्रतियोगिता अभी भी जारी है। बैलों को  तेज दौड़ाने में बग्घी हांकने वाला व्यक्ति बैलों के साथ-साथ अपनी जान भी जोखिम में डालता है।

इस वर्ष भी बड़ी संख्या में इस प्रतियोगिता को देखने के लिए लोग आए थे। प्रतियोगिता के आखिर में पहले ,दूसरे व तीसरे स्थान पर प्रतिभागियों को पुरस्कार भी मिला।



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