महू में आदिवासी युवा की मौत के मामले को ठंडा करने वाले निशांत खरे अब कैबिनेट मंत्री, सरकार ने चार लोगों को दी जिम्मेदारी


सरकार ने अप्रैल के महीने में ही अब तक कई नियुक्तियां कर दीं हैं।


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राजनीति Published On :

भोपाल। विधानसभा चुनावों को देखते हुए प्रदेश की शिवराज सरकार ने अपनी तैयारियां शुरु कर दी है। अब सरकार ने कई नेताओं को बोर्ड और मंडलों की जिम्मेदारी देना शुरु किया है। महीने में दूसरी बार किए जा रही इस कवायद में अब चार लोगों को जिम्मेदारी दी गई है। इन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलेगा। इनमें सबसे अहम नाम इंदौर से निशांत खरे का है।

माना जा रहा है कि उन्हें हालही में सरकार पर से एक संकट का समाधान करने का इनाम दिया गया है। उनके अलावा छिंदवाड़ा के दिनेश कुमार अंगारिया और प्रताप करोसिया तथा सीताराम बाथम के नाम शामिल हैं।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से गहरा जुड़ाव रखने वाले डॉ. निशांत खरे को इंदौर के महापौर प्रत्याशी के रूप में देखा जा रहा था लेकिन पुष्यमित्र भार्गव उनसे यह मौका छीन ले गए लेकिन अब खरे को मप्र युवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है। डॉ. निशांत खरे को आरएसएस की बड़ी जिम्मेदारियां मिली हुईं हैं और वे इसके तहत भी युवाओं के बीच रहकर ही काम कर रहे हैं। इसके अलावा डॉ. खरे को राज्य सरकार को एक संकट से निकालने का इनाम भी मिला है। दरअसल पिछले दिनों उन्होंने महू में आदिवासी युवक की सरकारी गोली से हुई मौत के मामले को ठंडा करने में अहम भूमिका निभाई थी। इस दौरान जहां महू से जुड़े रहे कुछ नाम वाले नेता भी चुप रहे तो वहीं डॉ. खरे की सक्रियता मुख्यमंत्री को प्रभावित कर गई। यहां खरे ने सरकार की गलती होते हुए भी आक्रामक रुख़ बनाए रखा। यही वजह रही कि सरकार की ओर से अधिकारियों पर कोई त्वरित कार्रवाई नहीं की गई। इस मुद्दे के तूल पकड़ने की आशंका थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

इसके अलावा छिंदवाड़ा के दिनेश कुमार अंगारिया को राज्य स्तरीय भारतीय जनजाति विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है।  प्रताप करोसिया को राज्य सफाई कर्मचारी आयोग में अध्यक्ष हैं और सीताराम बाथम मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष हैं। निगम, आयोग, बोर्ड और मंडलों में सरकार ने पिछले कुछ दिनों में 16 लोगों की नियुक्ति की गई है।



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