क्या शिवराज मंत्री मंडल बाहर होंगे सिंधिया सर्मथक मंत्री!


संघ ने शिवराज मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थकों मंत्रियों की संख्या आधी किए जाने का टास्क भाजपा संगठन को दिया


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राजनीति Published On :

भोपाल। कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में आए नेताओं के बाद प्रदेश भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं है। बताया जा रहा है कि अब ज्योतिरादित्य सिंधिया सर्मथक मंत्रियों का दबाव काफी बढ़ चुका है और ऐसे में संगठन में संतुलन की ज़रुरत नज़र आ रही है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने इस ज़रुरत को समझ लिया है और अब इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। संघ ने शिवराज मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थकों मंत्रियों की संख्या आधी किए जाने का टास्क भाजपा संगठन को दिया है। इसके बाद भाजपा संगठन इस टास्क पर अमल करने में जुट गया है।

शिवराज सरकार और भाजपा पर ज्योतिरादित्य सिंधिया सर्मथकों का प्रभाव काफी अधिक है। सिंधिया और उनके मंत्री जो काम कमलनाथ सरकार के दौरान नहीं कर सके वह अब भाजपा में कर रहे हैं। यह प्रभाव दो साल में लगातार बढ़ा है और अब संगठन को यह रास नहीं आ रहा है।

बताया जाता है कि सरकार सर्मथित मीडिया इसकी ख़बर बहुत अधिक नहीं दिखा रहा है क्योंकि इससे विरोध के बढ़ने का भी डर है। हालांकि इसके बावजूद कुछ अख़बार इसकी रस्साकशी की दिलचस्प रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

भोपाल से प्रकाशित एक्सप्रेस न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक संघ को शिवराज मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थक 12 चेहरे रास नहीं आ रहे हैं। इसलिए संघ ने भाजपा संगठन को यह निर्देश दिया है कि इसमें से कम से आधे मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर किया जाए। इसके लिए संघ ने बकायदा एक प्लान भी भाजपा संगठन को दिया है।

संघ के प्लान के मुताबिक सिंधिया समर्थकों को वाजिब कारण बता मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया जाए। इस प्लान के तहत भी भाजपा विधायकों से वन टू वन फीडबैक लिया जा रहा है साथ ही राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी मंत्रियों के साथ संभागवार बैठकें कर रहे हैं।

पिछले दिनों इंदौर में हुई उनकी बैठक खासी चर्चाओं में बनी हुई है। इस बैठक में कई बड़े नेताओं को नहीं बुलाया गया। ऐसे में साफ हो गया कि अब जो हो रहा है उसके पीछे अकेले पार्टी के बड़े नेताओं की भूमिका नहीं बल्कि संघ का हाथ है।

इसके आधार पर ही मंत्रियोंकी परफॉर्मेंस रिपोर्ट बनाई जा रही है, जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे। शिवराज सरकार के 30 सदस्यीय मंत्रिमंडल में इस समय 12 मंत्री सिंधिया समर्थक हैं। भाजपा पृष्ठभूमि के अभी 18 ही मंत्री हैं यही बात संघ को रास नहीं आ रही है।

यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा और संघ को सिंधिया सर्मथक मंत्रियों को हटाना आसान नहीं होगा क्योंकि सिंधिया अपने सर्मथकों और अपनी अनदेखी का हवाला देकर कमलनाथ सरकार गिरा चुके हैं जो उनके साथ-साथ कई लोगों की राजनीतिक दिशा बदलने का कारण बना हालांकि सिंधिया के पास कोई खास रास्ता नहीं है और भाजपा ने उन्हें केंद्र में मंत्री बनाकर उन्हें खुश रखा है। ऐसे में अगर उनके सर्मथकों को हटाए जाने की ख़बरें सही होती भी हैं तो उनका किसी भी तरह का विरोध शांत रखने की ज़िम्मेदारी खुद सिंधिया को ही दी जाएगी।

रिपोर्ट में यह भी कहा जा रहा है कि संघ के इस टास्क के पहले टारगेट मंत्री बिसाहुलाल सिंह हैं। एक विवादित बयान के बाद बिसाहुलाल को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने पर विवश किये जाने के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज द्वारा तलब कर नाराजगी जताए जाने को संघ की योजना का ही हिस्सा माना जा रहा है।

यह भी कहा जा रहा है कि सार्वजनिक माफी मांगने के बाद भी करणी सेना का बिसाहुलाल सिंह के इस्तीफ के लिए अड़े रहने के पीछे भी संघ का ही हाथ है।



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