ग्रीन एनर्जी की दिशा में बड़ी पहल, देश में बनेगा पहला हाइड्रोजन प्लांट


राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन नाम की इस योजना से वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन के देश के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी।


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green hydrogen plant

नई दिल्ली। आने वाले समय में देश ग्रीन हाइड्रोजन का हब बने इस दिशा में केंद्र सरकार लगातार प्रयासरत है। बजट में भी नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,744 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इसके तहत वर्ष 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किए जाने का लक्ष्य है।

देश में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को बढ़ावा देने की केंद्र सरकार की सकारात्मक पहल के तहत पुणे की द ग्रीन बिलियन्स लिमिटेड (TGBL) कंपनी ने हाइड्रोजन प्लांट की स्थापना के लिए बड़ी पहल दिखाई है।

कचरे से बनेगा हाइड्रोजन गैस –

TGBL कंपनी कचरे से हाइड्रोजन बनाने का पहला संयंत्र महाराष्ट्र के पुणे में लगाएगी। इसके लिए कंपनी ने पुणे नगर निगम के साथ 30 साल का करार किया है। पर्यावरण अनुकूल समाधान उपलब्ध कराने वाली यह कंपनी पुणे के कचरे को एकत्र कर इससे हाइड्रोजन गैस बनाएगी।

TGBL के अध्यक्ष अध्यक्ष प्रतीक कनकिया ने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत कंपनी अगले साल नगर निगम के पेरीफेरी क्षेत्र से प्रतिदिन करीब 350 टन कचरा एकत्र करेगी। इससे 10 टन हाइड्रोजन का प्रोडक्शन होगा।

350 करोड़ रुपये का होगा निवेश –

इस गैस को बनाने के लिए कंपनी हडपसर इंडस्ट्रियल एस्टेट में हाइड्रोजन गैस को बनाने के लिए प्लांट की स्थापना करेगी। इस पर काम शुरू हो गया है। कचरे से हाइड्रोजन गैस बनाने का देश में यह पहला प्रयास रहेगा।

प्लांट में 10 टन हाइड्रोजन के प्रोडक्शन के लिए रिएक्टर इसी साल नवंबर तक तैयार हो जाएगा। प्रोजेक्ट का पूरा काम नवंबर-2024 तक हो जाएगा। प्रोजेक्ट के लिए कंपनी 350 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। इसके अलावा 82 करोड़ रुपये स्टोरेज और अन्य जरूरतों पर खर्च होंगे।

भाभा एटॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट और IISC करेंगे मदद –

टीजीबीएल ने कचरे के सही उपयोग के लिए भाभा एटॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु से करार किया है। कंपनी इनकी सहायता से कचरे में बायोडिग्रेडेबल, नॉन-बायोडिग्रेडेबल और खतरनाक अपशिष्ट को अलग कर उनके उपयोग पर काम करेगी।

ऑप्टिकल सेंसर के उपयोग से कचरे में से ग्रीन बिलियंस को अलग कर उसका भी उपयोग किया जाएगा। संयंत्र से निकलने वाले गीले कचरे का उपयोग ह्यूमिक-एसिड के साथ बायो फर्टिलाइजर के उत्पादन के लिए किया जाएगा, जो पारम्परिक बायो फर्टिलाइजर से बेहतर साबित होगा। यह कार्बन के उत्सर्जन को भी कम करने में सहायक बनेगा।

50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन का लक्ष्य –

पीएम मोदी ने ग्रीन हाउस गैसों, विशेष रूप से कार्बन के उत्सर्जन में कटौती को सुनिश्चित करने वाले फैसलों को हाल में मंजूरी दी है। उन्होंने साल 2021 के स्वतंत्रता दिवस पर इस मिशन की घोषणा की थी।

भारत का लक्ष्य 2030 तक प्रति वर्ष 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है। इस प्रोत्साहन योजना से इसके दाम को कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही देश की साख भी बढ़ेगी।

देश में ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 19 हजार 744 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी गई। राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन नाम की इस योजना से वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन के देश के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल में कहा था कि हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन है और इसे नगर निगम के कचरे से प्राप्त किया जा सकता है।