किसान आंदोलन: SC की बनाई कमेटी से भूपिंदर मान हटे, बोले- किसानों के साथ हूं


भूपिंदर मान ने एक प्रेस रिलीज जारी कर सुप्रीम कोर्ट की बनाई इस कमेटी से अपना नाम वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा कि किसानों की भावनाओं के खिलाफ वे नहीं जा सकते।


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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले कृषि कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार और किसानों का पक्ष सुनने के लिए चार सदस्‍यों की एक कमेटी बनायी थी। उस कमेटी के एक अहम सदस्‍य भूपिंदर सिंह मान ने इस्‍तीफा दे दिया है, जो राज्‍यसभा के पूर्व सांसद हैं और भारतीय किसान यूनियन के पुराने नेता हैं।

भूपिंदर मान ने एक प्रेस रिलीज जारी कर सुप्रीम कोर्ट की बनाई इस कमेटी से अपना नाम वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा कि किसानों की भावनाओं के खिलाफ वे नहीं जा सकते।

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ध्‍यान रहे कि जब सरकार के साथ किसान संगठनों की वार्ता शुरू ही हुई थी, तब सबसे पहले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के पास जाकर जिस अखिल भारतीय किसान समन्‍वय समिति ने समर्थन का पत्र दिया था, उस पर मान का नाम अध्‍यक्ष के रूप में सबसे ऊपर लिखा था। सरकार इसी पत्र को ले उड़ी थी और उसका खूब प्रचार किया था कि किसान उसके साथ हैं।

मान के पक्ष का असली पता हालांकि एक सितंबर 2020 को प्रधानमंत्री मोदी को लिखे उनके एक पत्र से लगता है जिसमें उन्‍होंने कृषि कानूनों पर अपनी आपत्ति जताई थी और तीन सुझाव दिए थे।

भूपिंदर मान ने लिखा था कि एमएसपी की गारंटी के लिए एक अध्‍यादेश अलग से लाया जाना चाहिए। दूसरा, किसानों को न्‍यायालय जाने की छूट दी जानी चाहिए और इसके लिए नौंवीं अनुसूची को संशोधित किया जाना चाहिए। इसके अलावा आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम के प्रावधानों को भी उन्‍होंने हटाने की मांग रखी थी।

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मान को जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी में लिया। हर ओर इस बात की आलोचना होने लगी कि कमेटी पूरी तरह से एकपक्षीय है और इसमें कृषि कानून के किसी आलोचक को जगह नहीं दी गई है, इसलिए फैसला पहले से तय है।

अब मान के बाहर आ जाने से कुल तीन सदस्‍य कमेटी में बचते हैं जो कानूनों का पहले ही समर्थन कर चुके हैं। इस पर सरकार और अदालत की प्रतिक्रिया आना अभी बाकी है।

सौजन्यः जनपथ



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