मप्र में पंचायत चुनाव स्थगित, सरकार ने जारी की अधिसूचना


इसके बाद उम्मीद है कि चुनाव आयोग सोमवार को पंचायत चुनाव के स्थगन की घोषणा कर सकता है।


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भोपाल। मध्यप्रदेश में फिलहाल पंचायत चुनाव नहीं होंगे। रविवार को सरकार ने अपनी ओर से यह तय कर दिया है और चुनाव निरस्त करने के प्रस्ताव राजभवन को दिया है। इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। इसके बाद उम्मीद है कि चुनाव आयोग सोमवार को पंचायत चुनाव के स्थगन की घोषणा कर सकता है। इसके बाद यह चुनाव संभवतः तीन महीने बाद ही हो पाएंगे।

सरकार का चुनावों से इस तरह पीछे हटना एक तरह से कांग्रेस की जीत है। कांग्रेस ने बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव रोकने की मांग की थी हालांकि बाद में भाजपा ने भी इसे लेकर सहमति जताई थी। इसके बाद भाजपा नेताओं और प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने चुनाव न होने का कारण कांग्रेसियों को ही बताया है और एक तरह से माहौल अपने पक्ष में बनाने की कोशिश की है। वहीं कांग्रेसियों ने इसका स्वागत किया है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इसे सही कदम बताया है।

पंचायत चुनावों को लेकर रविवार का दिन गहमागहमी भरा रहा। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दोपहर में ही सरकार के द्वारा चुनाव रद्द करने के संबंध में वापस लिये गए अध्यादेश के बारे में जानकारी दी। इकके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रविवार देर शाम दिल्ली पहुंचे। यहां सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह आदि विधी विशेषज्ञों और वकीलं से बात की और ओबीसी आरक्षण संबंधी पहलुओं पर चर्चा की।

वहीं  ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने भी इस फैसले को लेकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि  कांग्रेस ने शुरू से ही पंचायत चुनाव में विवाद खड़ा करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शुरुआत से ही इस बात को लेकर प्रतिबद्ध थे कि बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव न हो।

पंचायत चुनावों में परिसीमन के बाद ओबीसी आरक्षण सबसे अहम मुद्दा रहा। ओबीसी आरक्षण को लेकर अब राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की जिम्मेदारी बढ़ गई है। आयोग को ओबीसी की आबादी जिले व तहसीलवार तैयार कर रिपोर्ट बनानी है। आयोग के अध्यक्ष डाॅ. गौरी शंकर बिसेन ने बताया कि इस काम में कम से कम तीन माह का समय लगेगा।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि ट्रिपल टेस्ट का पालन किए बिना आरक्षण के फैसले को स्वीकार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग से कहा कि कानून के दायरे में ही रहकर चुनाव करवाए जाएं। ओबीसी के लिए निर्धारित सीटों को सामान्य सीटों में तब्दील करने की अधिसूचना जारी करें। अदालत ने कहा कि कानून का पालन नहीं होगा, तो चुनाव रद्द किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी को करेगा।

 

 



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