जनता कराह रही लेकिन स्वास्थ्य मंत्री चुनावों में व्यस्त, मीडिया रिपोर्ट्स खोल रहीं सरकार के दावों की पोल


प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का हाल मीडिया रिपोर्ट्स और मंत्रियों के ट्विटर अकाउंट खोल रहे हैं। इंदौर में जहां ऑक्सीजन, इंजेक्शन, अस्पताल में बैड जैसी दर्जनों समस्याएं हैं तो वहीं उसी दौरान मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री दमोह उपचुनाव में खुद ही तमाम कायदे तोड़ते नज़र आते हैं।


Manish Kumar Manish Kumar
बड़ी बात Updated On :

भोपाल। प्रदेश फिलहाल संक्रमण के बेहद खतरनाक दौर से गुज़र रहा है लेकिन मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री का पूरा ध्यान दमोह के उपचुनाव पर ही लगाए हुए हैं।

कोरोना संक्रमण के मामले में मंगलवार का दिन प्रदेश के लिए सबसे खराब साबित हुआ है। इस बीच जब लोग संक्रमण बीमार होकर मर रहे थे तब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री दमोह के गांवों में चुनाव प्रचार में जुटे थे।

मंगलवार को पहली बार एक दिन में प्रदेश में 8998 संक्रमित मिले हैं और चालीस मरीज़ों की मौत भी हुई है। हालांकि अकेले भोपाल में ही 84 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत हुआ है। हालांकि इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने भोपाल लौटते हुए रास्ते में पड़ने वाले शहरों में बहुत से अस्पतालों के दौरे किये और व्यवस्थाएं भी जांची लेकिन वे इससे पहले लगातार दमोह के उपचुनावों में ही व्यस्त रहे।

इस बीच इंदौर में अप्रैल महीने के शुरुआती बारह दिनों में ही करीब एक हज़ार से अधिक शवों का अंतिम संस्कार हो चुका है। इनमें से 319 लोगों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल से किया गया यानी ये माना गया कि वे कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। यहां पहले से ही ऑक्सीजन की कमी है और अस्पतालों से लेकर शवों को श्मशान तक ले जाने वाले वाहनों में हर तरह की अनियमितता नज़र आ रही है।

हज़ारों की संख्या में रेमडेसिविर इंजेक्शन इंदौर आ चुके हैं लेकिन फिर भी लोग उन्हें पाने के लिये परेशान हो रहे हैं। दुकानों पर लोगों की कतारें लगी हुई हैं।

रेमडेसिविर की कालाबाज़ारी अभी भी जारी है। मंगलवार को पुलिस ने इस इंजेक्शन को तेरह हज़ार रुपये में बेचने वाले शोएब नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। बाज़ार में टोसी या टोसीलिजुमेब नाम के इंजेक्शन की भी कमी हो चुकी है जिसकी कालाबाज़ारी जारी है। शोएब ने टोसीलिजुमेब नाम के इस इंजेक्शन के लिए एक लाख रुपये की मांग की थी।

इस बीच अस्पतालों में पर्याप्त ऑक्सीजन होने के कितने भी दावे किये जा रहे हों लेकिन ये दावे असलियत से काफ़ी दूर नज़र आ रहे हैं। प्रदेश के प्रमुख अख़बारों की मीडिया रिपोर्ट्स को देखें तो पता चलता है कि कैसे लोग अपने जोख़िम पर अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं।

इंदौर के अस्पतालों में मरीजों के परिजनों को ही ऑक्सीजन लाने के लिये कहा जा रहा है। अस्पताल खुद ही ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं ऐसे में उनके मुताबिक उनकी मजबूरी ही ऐसा करना है।

अकेले स्वास्थ्य मंत्री को ही दोष क्यों दिया जाए प्रदेश के मुख्यमंत्री भी सुबह भोपाल में लोगों से बिना वजह घर से बाहर न निकलने की अपील कर रहे थे तो शाम को दमोह में वे भाजपा कार्यकर्ताओं को भाजपा को जिताने के लिए कार्यकर्ताओं को घरों से बाहर निकालने की अपील कर रहे थे। उनके दौरों के बीच भी कहीं भी सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियम नज़र नहीं आए।

ऐसे में चुनावों तक प्रदेश के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री कोरोना संक्रमण की समस्या पर कितना ध्यान देंगे यह कहना फिलहाल काफी मुश्किल नज़र आता है।

 



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