महिलाओं को सम्मान दिलाने न्याय पालिका का हर संभव सहयोग: एडीजे निगम


एडीजे ने कहा कि माता-पिता भी अपने बच्चों को विश्वास में रखें और उनसे संवाद करते रहें। ऐसा न हो कि वो माता-पिता के डर से इस तरह की घटना के बारे में मुह ही न खोल पाये।


शिवेंद्र शुक्ला शिवेंद्र शुक्ला
छतरपुर Updated On :

छतरपुर। राज्य शासन द्वारा महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए शुरू किए गए अभियान के तहत पुलिस ने बुधवार को थाना ओरछा रोड के परिसर में जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अपर सत्र न्यायाधीश प्रशांत निगम ने महिलाओं को सम्मान दिलाने के लिए न्याय पालिका का हर संभव सहयोग दिलाने का वादा किया।

विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद एसपी सचिन शर्मा ने जिले को महिलाओं को सबसे सुरक्षित बनाने का वचन दिया। इस अवसर पर नुक्कड़ नाटक और जूड़ो-कराटे के प्रदर्शन द्वारा महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए प्रेरित किया गया।

कार्यक्रम मेें महिला सम्मान के क्षेत्र में काम करने पर तीन लोगों को असली हीरो सम्मान के तौर पर शील्ड भेंट की गई।

 

माता-पिता रखें नजर, आसपास के लोगों का व्यवहार कैसा है

मुख्य अतिथि एडीजे प्रशांत निगम ने महिला संबंधी कानूनों की बात करते हुए कहा कि कई कानून लोग परम्परा के नाम पर मानते ही नहीं है जबकि वे अपराध हैं। जैसे बुन्देलखण्ड में बाल विवाह की परम्परा है लेकिन समाज मानता नहीं। उन्होंने बाल विवाह कानून के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

एडीजे ने बताया कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जांच कराना कानूनी तौर पर अपराध है लेकिन फिर भी महिलाएं बेटे की चाह में यह अपराध करती हैं। उन्होंने गर्भपात को भी अपराध बताया। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में चाहे वो सास के तौर पर हो या ननद के तौर पर महिला ही महिला की दुश्मन बन जाती है। उन्होंने छेड़-छाड़ और बलात्कार के मामलों की चर्चा करते हुए कहा कि इनमें ज्यादातर अपराध रिश्तेदार, घरवाले और जान-पहचान के लोग ही करते हैं। इसलिए लड़कियों को ऐसे लोगों से सजग रहने की जरूरत है।

एडीजे ने कहा कि माता-पिता भी अपने बच्चों को विश्वास में रखें और उनसे संवाद करते रहें। ऐसा न हो कि वो माता-पिता के डर से इस तरह की घटना के बारे में मुह ही न खोल पाये। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में बदनामी के डर से लोग पुलिस थाने में जाने से डरते हैं। इसके लिए किसी भी न्यायालय में विधिक सेवा प्राधिकरण में शिकायत की जा सकती है। उन्होंने कार्य स्थल पर यौन हिंसा रोकने के लिए बनाए गए कानून की भी विस्तृत जानकारी दी और उसका लाभ लेने की सलाह दी।

महिलाएं निडर होकर शिकायत करें, पुलिस उनके साथ है: एसपी

पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा ने कहा कि जिन महिलाओं और लड़कियों के साथ अपराध होते हैं उसकी पीड़ा वही समझती हैं। उन्होंने कहा कि घर, मोहल्ले और स्कूल में लड़कियों को इस तरह के कड़वे अनुभव मिलते हैं। इसमें क्रांति लाने की जरूरत है। सबसे पहले हमें अपने बेटों के व्यवहार में बदलाव लाना चाहिए। जब तक यह बदलाव हमारे बेटों में नहीं आता तब तक परिवर्तन की उम्मीद न मुमकिन है।

उन्होंने बताया कि छतरपुर जिले में तो महिला अपराध में सजा का प्रतिशत 100 है। उन्होंने कहा कि पुलिस की कार्य योजना है कि किसी भी रास्ते में बेटियों को निकलने में डर न लगे अगर पुलिस लड़कियों में भय खत्म न कर सके तो फिर असफल है। उन्होंने बताया कि महिला संबंधी अपराध करने वालों के ड्राईविंग लायसेंस रद्द किये जाएंगे तथा उनके घरों को भी तोड़ा जाएगा।

कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता ईशानी शर्मा ने कहा कि बिडम्बना है कि समाज को नारी के सम्मान के लिए अभियान चलाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि नारी सुरक्षा में सबकी भागीदारी बराबर की है। मां अपनी बेटी को इतना सहज महसूश कराएं कि वह हर बार बेझिझक उनको बता सके। तभी आप उसके लिए मजबूती से आवाज उठा पाएंगीं।

उन्होंने कहा कि बेटियों को अपनी जिंदगी में आत्मनिर्भर बनना है। इस लिए किसी को उनका मनोबल तोडऩे की कानून इजाजत नहीं देता। बेटियां मजबूत हो सशक्त बनें। कार्यक्रम में पुलिस परिवार परामर्श की काउंसलर अनुपमा राणा ने भी अपने विचार रखे। प्रारंभ में महिला प्रकोष्ठ प्रभारी डीएसपी अनुरक्ति साबनानी ने सम्मान अभियान की जानकारी दी और उपस्थित लोगों को महिला सम्मान की शपथ दिलाई।

कार्यक्रम में छतरपुर के राज नारायण गुप्ता को एक गैंग रेप पीडि़त बच्ची को बचाने, परिवार परामर्श केन्द्र की काउंसलर उपासना सिन्हा और अनुपमा राणा को असली हीरो सम्मान के रूप में शील्ड भेंट कर सम्मानित किया गया। ओरछा रोड थाना प्रभारी माधवी अग्निहोत्री ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार अंकुर यादव ने किया। कार्यक्रम में डीपीओ प्रवेश अहिरवार, एडीपीओ केके गौतम सहित बड़ी संख्या में महिलाएं, बेटियां तथा पुलिसकर्मी मौजूद थे।



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