सिंधिया के दबाव के आगे क्या फिर गिरने वाली है मध्यप्रदेश की सरकार


भाजपा संगठन में सिंधिया की ताकत ही उनके मंत्रियों के सुरक्षित भविष्य की गारंटी है। अगर वे भाजपा संगठन में भी इतने ही महत्वपूर्ण बन पाते हैं तो उनका और उनके मंत्रियों का भविष्य सुरक्षित कहा जा सकता है। यह कहते हुए उनके पिछले दिनों भोपाल आने पर हुए उनके स्वागत की बात भी की जानी चाहिए। यह स्वागत शानदार था लेकिन स्वागत करने वाले नेता- कार्यकर्ताओं में वही चेहरे थे जो सिंधिया के ख़ास माने जाते हैं पुराने भाजपाई नहीं। 


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राजनीति Updated On :

भोपाल। प्रदेश में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हो सकता है। प्रदेश कांग्रेस को संभवतः इस विचार से प्रभावित दिखाई दे रही है। अख़बारी ख़बरों और कांग्रेस के द्वारा उन पर कांग्रेस द्वारा दी गई प्रतिक्रिया इस विचार का कारण है। भोपाल और इंदौर के अख़बारों की यह ख़बरें कहती हैं कि अगर तुलसी और गोविंद के साथ सिंधिया के पंसदीदा लोगों को मंत्री नहीं बनाया गया तो सिंधिया सर्मथक फिर इस्तीफ़ा दे सकते हैं। ख़बर पर कांग्रेस ने चुटकी ली है और श्री मंत कहे जाने वाले राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया को श्री अंत कहकर संबोधित किया है।

 

पढ़िए कांग्रेस का ट्वीट…

मंत्रीमंडल विस्तार  की चर्चाएं काफी दिनों से हो रहीं हैं। इसे लेकर सिंधिया और शिवराज की बैठक भी हो चुकीं हैं। अब कहा जा रहा है कि इंदौर जिले की सांवेर सीट विधायक तुलसी सिलावट और सागर जिले की सुरखी सीट के विधायक गोविंद सिंह राजपूत, शिवराज सरकार में मंत्री बनने की राह देख रहे हैं और अगर इन दोनों को मंत्री और शेष सर्मथकों को अन्य पद नहीं दिए गए तो सिंधिया वैसे ही नाराज़ हो जाएंगे जैसे वे इस साल मार्च में हुए थे और प्रदेश में सरकार गिरकर उपचुनाव हुए।

कयास लगाए जा रहे हैं कि अब एक बार फिर अगर सिंधिया की मांग नहीं मानी गई तो शिवराज सरकार में शामिल सिंधिया के समर्थक सभी सात मंत्री अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। बताया जाता है कि इसकी जानकारी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व को लग चुकी है और इस बारे में वहां रायशुमारी भी शुरू हो चुकी है।

ख़बर कहती है कि सिंधिया की मांग केवल तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत को मंत्री बनाने की ही नहीं है बल्कि वे अपने हारे हुए समर्थकों के लिए भी निगम-मंडलों में अच्छी जगह तलाश रहे हैं। उनके हारे हुए समर्थकों में सबसे बड़ा नाम इमरती देवी का है जो डबरा से चुनाव हार चुकी हैं। उनके बाद गिर्राज दंडोतिया और रघुराज कंसाना भी हैं। हालांकि मंत्री या विधायक न होने के बावजूद भी इमरती देवी को पिछले दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में शामिल किया गया था।

एक ओर सिंधिया द्वारा जहां सीएम शिवराज पर इस तरह के दबाव की खबरें आ रही हैं वहीं दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान पहले ही कह चुके हैं कि मंत्रिमंडल का विस्तार प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के बाद ही किया जाएगा।

यह कार्यकारिणी कब बनेगी यह फिलहाल तय नहीं। ऐसे में सिंधिया की तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को जल्दी मंत्री बनाने वाली इच्छा शायद जल्दी पूरी ना हो सके।

खबर लिखने वाले रिपोर्टर राजेंद्र खंडेलवाल के सूत्र कहते हैं की शिवराज सिंह मंत्रिमंडल में शामिल सात सिंधिया समर्थक मंत्रियों के इस्तीफे के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिल सकते हैं।

इन मंत्रियों में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, प्रद्युमन सिंह तोमर,  महेंद्र सिंह सिसोदिया,  सुरेश धाकड़,  ओ पी एस भदौरिया,  प्रभु राम चौधरी,  बृजेंद्र सिंह यादव शामिल हैं। इसी तरह की एक अन्य खबर के मुताबिक सिंधिया करीब आधा दर्जन मंत्री पद चाहते हैं।

पीपुल्स समाचार अख़बार की ख़बर कहती है कि अब सिंधिया समर्थक जो दबाव बना रहे हैं उससे मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय संतुलन का मुद्दा गर्मा रहा है इससे कुछ क्षेत्रों के नेता नाराज बताए जा रहे हैं और अब उनका धैर्य टूट रहा है। ऐसे में  शिवराज पर इन पुराने भाजपाईयों का भी दबाव होगा।

भाजपा संगठन में सिंधिया की ताकत ही उनके मंत्रियों के सुरक्षित भविष्य की गारंटी है। अगर वे भाजपा संगठन में भी इतने ही महत्वपूर्ण बन पाते हैं तो उनका और उनके मंत्रियों का भविष्य सुरक्षित कहा जा सकता है। यह कहते हुए उनके पिछले दिनों भोपाल आने पर हुए उनके स्वागत की बात भी की जानी चाहिए। यह स्वागत शानदार था लेकिन स्वागत करने वाले नेता- कार्यकर्ताओं में वही चेहरे थे जो सिंधिया के ख़ास माने जाते हैं पुराने भाजपाई नहीं।



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