अखंड नवरात्रि का शुभ संयोग: हाथी पर सवार होकर सुख-समृद्धि लेकर आएंगी मां दुर्गा


26 सितंबर को नवरात्रि का प्रारंभ धनवर्षा योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग में हो रहा है।


आशीष यादव आशीष यादव
सितारों की बात Updated On :
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इस साल शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ 26 सितंबर दिन यानी सोमवार से हो रहा है और इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी जो सुख-समृद्धि को बढ़ाने वाली होगी। साथ ही साथ इस बार नवरात्रि के पूरे नौ दिनों में कई शुभ संयोग बन रहे हैं।

ज्योतिषाचार्य डॉ. अशोक शास्त्री ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इस बार की नवरात्रि कई शुभ संयोगों में है। ये योग मनोकामनाओं और कार्यों की सिद्धि करने वाला माना जाता है।

इस योग में किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं। इस नवरात्रि के पूरे नौ दिनों में कई शुभ संयोग बने हुए हैं। 26 सितंबर को नवरात्रि का प्रारंभ धनवर्षा योग, सर्वार्थ सिद्धि योग व अमृत सिद्धि योग में हो रहा है।

नवरात्रि के पांचवें दिन यानि 30 सितंबर को और सातवें दिन यानि 02 अक्टूबर को भी सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है। वहीं नवरात्रि के चौथे दिन, छठवें दिन और आठवें दिन रवि योग बना हुआ है।

रवि योग संकटों को दूर करके शुभता और सफलता प्रदान करने वाला माना जाता है। सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग में मां दुर्गा की पूजा करना विशेष फलदायी होता है।

हाथी पर सवार होकर आती हैं तो सुख-समृद्धि साथ लाती हैं मां –

अशोक शास्त्री के मुताबिक देवी भागवत पुराण मे जब भी नवरात्र की शुरुआत सोमवार से होती है तब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो यह बहुत शुभ माना जाता है।

मां अपने साथ ढेर सारी खुशियां और सुख समृद्धि लेकर आती हैं। इससे देश मे आर्थिक समृद्धि के साथ ज्ञान की वृद्धि होगी। इस बार अधिक वर्षा होगी जिससे चारों ओर हरियाली होगी। फसलों पर भी अच्छा प्रभाव गिरेगा।

देश मे अन्न के भंडार भरे रहने के साथ ही धन-धान्य मे वृद्धि होगी और संपन्नता आएगी। डॉ. शास्त्री के अनुसार शारदीय नवरात्रि का समापन पांच अक्टूबर बुधवार को हो रहा है।

इस प्रकार दिन के अनुसार माता के आगमन की सवारी तय है, उसी तरह दिन के अनुसार माता के बिदाई की सवारी भी तय है। यदि मां बुधवार या शुक्रवार को विदा होती हैं तो उनकी सवारी हाथी होती है जो शुभता का प्रतीक माना जाता है।

नवरात्र में घट स्थापना –

शारदीय नवरात्र में मां के नौ रूपों का पूजन किया जाता है। नवरात्र में घट स्थापना, जौ बोने, दुर्गा सप्तशती का पाठ, हवन व कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं।

डॉ. अशोक शास्त्री ने बताया कि शारदीय नवरात्र शीत ऋतु के आगमन की सूचना देता है। प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 26 सितंबर को सुबह 3:24 बजे से हो रही है और 27 सितंबर सुबह 3:08 बजे तक रहेगी।

26 सितंबर को आश्विन शुक्ल घट स्थापना शुभ मुहूर्त में की जानी चाहिए। इस दिन कन्या लग्न में प्रातःकाल 5:56 बजे से 7:35 बजे तक एवं अभिजीत मुर्हूत दिन 11:43 से 12:32 बजे तक घट स्थापना एवं देवी का पूजन किया जा सकता है। इस साल का शारदीय नवरात्र बेहद खास है।

पूजा करने से होती है मनोकामना पूरी, दुख-दर्द दूर हो जाते हैं –

डॉ. शास्त्री ने बताया कि लंका पर विजय के लिए भगवान श्रीराम ने नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की थी। मां दुर्गा के आशीर्वाद से दसवें दिन प्रभु राम ने रावण का वध कर दिया और लंका पर विजय प्राप्त की।

इस वजह से मान्यता है कि जो भी शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा का पूजन विधिपूर्वक करता है, उसे अपने कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए करें इन मंत्रों का जाप –

डॉ. शास्त्री के मुताबिक नवरात्रि के नौ दिनों तक शक्ति की विशेष पूजा करने से हर तरह की मनोकामना पूरी होती है और दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। नवरात्रि के हर दिन एक देवी की पूजा, आराधना और मंत्र जाप का विधान होता है।

आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ देवी के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है। मां शैलपुत्री की पूजा से शक्ति की प्राप्ति होती है।

देवी के दूसरे स्वरूप ब्रह्राचारिणी की पूजा से मान-सम्मान, मां चंद्रघंटा की पूजा से एकाग्रता, देवी कूष्मांडा से मन में दया का भाव आता है, स्कंदमाता की आराधना से कामयाबी, मां कात्यानी की आराधना से बाधाएं दूर होती हैं।

कालरात्रि की पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होती है, महागौरी की पूजा से सुख-समृद्धि और मां सिद्धिदात्री की पूजा करने पर जीवन की हर एक मनोकामना पूरी होती है।

सुख, शांति व समृद्धि के संकेत –

देवी भागवत के अनुसार जब मां का आगमन व विदाई हाथी पर होती है तो देश में खुशहाली का वातावरण निर्मित होता है। पर्याप्त वर्षा से जनता प्रसन्न होती है। बाजार और व्यापार पर इसका शुभ प्रभाव पड़ता है। बुध प्रधान कन्या राशि का चंद्रमा व सूर्य और बृहस्पति प्रधान गुरु सुख, शांति व समृद्धि के संकेत दे रहे हैं।

प्रतिमाओं को दे रहे अंतिम रूप –

नवरात्र में केवल तीन दिन शेष हैं। ऐसे में प्रतिमाओं को बनाने वाले कलाकारों ने भी अब काम में तेजी लाना शुरू कर दिया है जो प्रतिमाओं को अंतिम रूप दे रहे हैं।

वहीं गरबा पांडालों में भी तैयारियां अंतिम चरण में हैं। दो सालों बाद कोरोना के सारे प्रतिबंध हटने के बाद इस बार धूमधाम से गरबों का आयोजन किया जाएगा जिसकी तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं।







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