राशन घोटालाः माफिया भरत दवे का साथ देने वाले अधिकारी सहित 29 के खिलाफ FIR


शासकीय उचित मूल्य दुकानों से गरीबों की राशन सामग्री की हेराफेरी के आरोप में जिला प्रशासन ने राशन माफिया भरत दवे, इंदौर जिले के प्रभारी खाद्य नियंत्रक आरसी मीणा समेत 29 आरोपियों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के अलावा कई धाराओं में केस दर्ज करवाया है।


vinay-yadav विनय यादव
इन्दौर Updated On :
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– राशन माफिया भरत दवे समेत 29 पर केस दर्ज, प्रभारी खाद्य नियंत्रक मीणा भी फंसे
इंदौर। शासकीय उचित मूल्य दुकानों से गरीबों की राशन सामग्री की हेराफेरी के आरोप में जिला प्रशासन ने राशन माफिया भरत दवे, इंदौर जिले के प्रभारी खाद्य नियंत्रक आरसी मीणा समेत 29 आरोपियों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के अलावा कई धाराओं में केस दर्ज करवाया है।

बताया जा रहा है कि 80 लाख के राशन घोटाले में राशन माफिया भरत दवे व प्रमोद दहिगुडे समेत तीन के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत भी कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है।

इंदौर जिला कलेक्टर मनीष सिंह ने मंगलवार को बताया कि उचित मूल्य की दुकानों से प्राथमिकता परिवार की 24 श्रेणियों के पात्र हितग्राहियों को एक रुपये की दर से राशन दिया जाता है।

कोरोना महामारी के कारण गत वर्ष अप्रैल में इंदौर जिले में करीब 42 हजार परिवारों के लिए प्रति सदस्य पांच किलो खाद्यान्न का आवंटन हुआ था। यह खाद्यान्न हितग्राहियों को निःशुल्क दिया जाना था।

भरत दवे और प्रमोद दहिगुडे के सहयोग से उनके परिचितों द्वारा संचालित उचित मूल्य दुकानों से सामग्री वितरण करने या कम करने की शिकायतें प्राप्त हो रही थीं।

शिकायतों की जांच के बाद 12 शासकीय उचित मूल्य की दुकानों को चिन्हित किया गया। इनकी जांच के लिए अनुविभागीय अधिकारियों के नेतृत्व टीम गठित की गई।

जांच टीम ने इन 12 दुकानों के कारोबार स्थलों पर जाकर उनके रिकॉर्ड और पीओएस मशीन की पड़ताल कर भौतिक सत्यापन किया तो कई अनियमितताएं पाईं, जो मप्र सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2015 के प्राविधानों का उल्लंघन थीं।

जांच में यह तथ्य भी सामने आया कि इन दुकानों के संचालन में भरत दवे की संलिप्तता थी, जिसे संचालनकर्ताओं ने भी स्वीकार किया। राशन दुकान संघ का अध्यक्ष होने के कारण भरत दवे ने राशन की हेराफेरी करके आर्थिक लाभ की उठाया।

कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों ने बताया कि छात्र प्राथमिक उपभोक्ता सहकारी समिति का उपाध्यक्ष श्याम दवे हेराफेरी के काम में भरत दवे का निकटतम सहयोगी था। प्रमोद दहिगुडे ने भी तीन दुकानों का संचालन करते हुए राशन खुले बाजार में बेचा।

राशन की हेराफेरी की शिकायतों के बावजूद प्रभारी खाद्य नियंत्रक आरसी मीणा ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया बल्कि राशन माफिया का साथ दिया। इस मामले में निलंबित मीणा ने राशन माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अपने मातहत कनिष्ठ अधिकारियों को भी रोका।

इस मामले में 28 आरोपियों के अलावा मीणा के खिलाफ धारा 120-बी में अपराध पंजीबद्ध किया गया है।



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