ट्रक की चपेट में आने से युवक की मौत, पहनने के बजाय टांग रखा था हेलमेट


मृतक के पास हेलमेट तो था, लेकिन पहनने के बजाय वाहन पर टांग रखा था। अगर युवक ने हेलमेट पहना होता तो सभंव था कि वह केवल घायल होता और छोटी-मोटी चोट आती।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Published On :
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महू। गुरुवार की दोपहर को एक युवक की ट्रक के चपेट में आने से मौत हो गई। मृतक के पास हेलमेट तो था, लेकिन पहनने के बजाय वाहन पर टांग रखा था। अगर युवक ने हेलमेट पहना होता तो सभंव था कि वह केवल घायल होता और छोटी-मोटी चोट आती।

दोपहर साढ़े बारह बजे के करीब जितेंद्र (36 वर्ष) पिता रमेशचंद्र राठौर निवासी तेजाजी मोहल्ला कोदरिया अपनी मोटरसाइकिल क्रमांक एमपी09जेटी4030 से गुजरखेड़ा की ओर जा रहा था।

सेंट मेरी स्कूल तिराहे पर जितेंद्र ने आगे जा रहे ट्रक क्रमांक आरजे07जीए9328 को ओवरटेक करने का प्रयास किया। इस दौरान उसका संतुलन बिगड़ गया और गिरकर ट्रक के पिछले पहिये की चपेट में आ गया।

ट्रक का पहिया जितेंद्र के सिर पर से निकल गया जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना के बाद यहां बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ लग गई। तत्काल पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद शव को शासकीय अस्पताल पहुंचाया गया। घटना के बाद चालक ट्रक छोड़कर भाग गया जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया है।

यह हादसा इतना वीभत्स था कि जिसने भी देखा वह दहल गया क्योंकि पूरा शरीर सुरक्षित सिर्फ सिर कुचला था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार युवक के पास हेलमेट था लेकिन उसे पहनने की बजाय उसने वाहन के हैंडल पर टांग रहा था। अगर वह हेलमेट पहना होता तो संभव है सिर्फ घायल होता।

बता दें कि ड्रीमलैंड चौराहे से लेकर घटनास्थल तक वाले मार्ग पर विगत कुछ वर्षों में इस प्रकार की तीन घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें तीन युवकों की मौत हुई है। ड्रीमलैंड चौराहे पर यातायात पुलिस चौकी है जहां यातायात प्रभारी सहित जवान यहीं बैठे देखे जा सकते हैं या फिर सुनसान क्षेत्र में वाहनों की चालानी कार्रवाई करते हुए।

इस क्षेत्र में यातायात पूरी तरह अव्यवस्थित हो चुका है। व्यवसायी क्षेत्र खासकर दवा दुकानें, क्लिनिक व शोरूम होने के कारण वाहन सड़कों पर खड़े रहते हैं तथा चौबीसों घंटे भारी वाहनों का आवागमन लगा रहता है।

गुरुवार को हुई घटना के बाद भी पुलिस व यातायात विभाग मौके पर कार्रवाई करने के बजाय यातायात व्यवस्था में लगा रहा जबकि शव को समाजसेवी रवि मेहरोलिया आदि ने किसी तरह वाहन में रखवा कर अस्पताल पहुंचाया। पहिये की चपेट में आने से शरीर के टुकड़े भी इन्ही नागरिकों ने थैली में भरें तथा बाद में पानी से सड़क को धोया।



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