दमोह उपचुनावः ये दो-तीन महीने से आए लोग मुझे सर्टिफिकेट देंगे! राहुल के आरोपों पर मलैया का पलटवार


हारे हुए प्रत्याशी राहुल सिंह के आरोपों पर जयंत मलैया का पलटवार, काफी कुछ कहा लेकिन बहुत कुछ पार्टी फोरम के लिए बचा लिया…



दमोह। उपचुनाव में हार के बाद अब दमोह भाजपा की कलह खुलकर सामने आ गई है।  भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी ने वरिष्ठ नेता जयंत मलैया पर भीतरघात के आरोप लगाए थे। जिसके बाद अब मलैया का बयान सामने आया है। मलैया ने साफ कहा है कि जनता ने पहले से तय कर लिया था कि उन्हें ऐसे उम्मीदवार को नहीं जिताना है।

मलैया ने माना कि पार्टी उनके वार्ड से हारी है लेकिन बहुत से दूसरे वार्ड से भी पार्टी हारी और शहर में शायद ही इस बार कोई और वार्ड रहा है जहां पार्टी को जीत मिली है। राहुल सिंह द्वारा अपने उपर लगाए जा रहे आरोपों पर उन्होंने कहा कि उन्हें किसी से सर्टिफिकेट लेने की ज़रूरत नहीं है।

मलैया ने राहुल पर हमला बोलते हुए साफ कहा कि ये कल के आए हुए लोग उनकी विश्वसनीयता को खत्म नहीं कर पाएंगे। मलैया यहां काफी कुछ कह गए लेकिन उन्होंने कहा कि आगे की बातें वे पार्टी फोरम पर कहेंगे।

मलैया ने यहां माना कि जनता की नब्ज़ पढ़ने में पार्टी की ओर से चूक हुई है। हालांकि संभव है कि ऐसा कहकर वे अपने परिवार द्वारा जताई जा रही दावेदारी का सर्मथन कर रहे हों।

इस बयान में मलैया ने अपना पुरजोर बचाव किया और कहा कि वे अपना वार्ड हारे हैं लेकिन जो सामने आया है वह जनमत था, वे किसी का हाथ पकड़कर उससे ईवीएम का बटन नहीं दबवा सकते। जनता जैसे राहुल सिंह को समझी थी उन्हें वैसे ही वोट मिले हैं।

इसके अलावा जयंत मलैया ने कहा कि न सिर्फ वे बल्कि खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा आदि भी जिन इलाकों में वोट मांगने गए वहां भी पार्टी को जीत नहीं मिली है।

उल्लेखनीय है कि दमोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई रैलियां की। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा तो यहां बीस दिनों तक डेरा डाले रहे और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल भी यहां पूरी तरह सक्रिय रहे।

पार्टी ने जयंत मलैया को प्रचार के आख़िरीद दिनों एक हैलीकॉप्टर देकर प्रचार करवाया। उनके बेटे सिद्धार्थ को शहरी क्षेत्र की ज़िम्मेदारी दी गई थी। जहां वे ख़ासे सक्रिय रहे। बताया जाता है कि इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की ओर से काफ़ी संसाधन जुटाए गए और दमोह के इतिहास का यह सबसे महंगा चुनाव साबित हुआ है।

इसके अलावा करीब बीस मंत्री, पचास विधायक और हज़ारों की संख्या में भाजपा के नेता राहुल सिंह के लिए सर्मथन जुटाते रहे लेकिन फिर भी राहुल नहीं जीत सके। राहुल सिंह ने इसका पूरा ठीकरा जयंत मलैया उनके पुत्र सिद्धार्थ मलैया पर फोड़ा है।



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